Pages

मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

Powered By Blogger

Tuesday 2 June 2015

जपानी एनसिफेलाइटिस (Japanese Encephalitis)

जपानी एनसिफेलाइटिस



परिचय पात (Introduction):

          जपानी एनसिफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) – ई नाँव भलहि बिदेशी हो पर बेमारी बिदेशी नञि । ई जानल – पहिचानल बेमारी अछि जे एक गोट वायरस द्वारा संक्रमणसँ होइत अछि । एहि वायरसक खोज सर्वप्रथम जपान नामक देशमे भेल तेँ एहि बेमारीक एहेन नाँव पड़ल । ई वायरस फ्लेवीवायरस (Flevivirus) परिवारक अछि । ई ओएह परिवार अछि जाहि मे डेंगू बोखारक वायरस सेहो अबैत अछि । एहि बेमारीक मैथिली नाँव भेल जपानी मस्तिष्क शोथ कारण एहिमे रोगीक मस्तिष्कमे शोथ उत्पन होइत अछि अर्थात् मस्तिष्क फूलि जाइत अछि । सामान्य भाषा मे कतेको बेर एकरा मस्तिष्क ज्वरसेहो कहि देल जाइत अछि जे पुर्ण रूपेँ सही नञि अछि किएक तँ एहि तरहक बोखारक श्रेणीमे जपानी मस्तिष्क शोथक अतिरिक्त आन किछु वायरस जनित संक्रमण, प्लाज्मोडियम फॉल्सीफेरम जनित मलेरिया बोखार आ मेनिन्जाइटिस आदि बोखार सेहो अबैत अछि ।  ई बेमारी 3 सँ 15 वर्ष धरिक धिया – पुताकेँ बेशी (वयस्कक अपेक्षा 5 - 10 गुणा बेशी) अक्रान्त करैत अछि ।

भौगोलिक प्रसार (Demography):

                   ई बेमारी अधिकांशतः दक्षिण – पूब एशिया (South East Asia) तथा पच्छिमी प्रशांत महासगरीय (Western Pacific) द्वीप समूह सभमे व्याप्त अछि । भारतमे सेहो हिमाचल प्रदेश, जम्मू – काश्मीर, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश आदिकेँ छोड़ि कऽ शेष सभ प्रान्तमे एहि बेमारीक प्रसार अछि । आन्ध्र प्रदेश, तामिलनाडू आ तेलंगाना आदि क्षेत्रमे एकर रोगी बेशी भेटैछ पर सही जानकारीक अभाव ओ समय पर समुचित निदान आ चिकित्सा सुविधाक अनुपलब्धताक कारण असम, बिहार आ उत्तर प्रदेशमे एहि बेमारीक कारण मृत्यु दर (Mortality Rate)  अधिक अछि । ई बेमारी मुख्यतः ग्रामिण क्षेत्रमे देखल गेल अछि, शहरी क्षेत्रमे एकर प्रसार नगण्य अछि ।

चित्र - ‍१ – जपानी मस्तिष्क शोथ केर संशय क्षेत्र वा भौगोलिक प्रसार

संक्रमण विधि (Epidemiology):–  

           संक्रमित क्युलेक्स मच्छरक कटलासँ एहि बेमारीक वायरस मनुक्खमे प्रवेश करैछ । क्यूलेक्स ट्राइटिनियोरिंकस (Culex tritaeniorhynchus) जपान आ उत्तरबारी एशियामे आ क्यूलेक्स विश्नूई (Culex vishnui) भारतमे एहि रोगक वायरसक प्रमुख वाहक (Vector) अछि । क्यूलेक्स ट्राइटिनियोरिंकस मुख्यतः धानक खेतमे जमकल पानिमे प्रजनन करैछ । क्यूलेक्स मच्छरक ई दुनु प्रजाति संक्रमित जंगली जलचर चिड़ै (जेना कि – बगुला) आ पोशुआ सुग्गर आदिसँ संक्रमित होइत अछि आ मनुक्खकेँ कटबा काल ओकरा संक्रमित करैछ । एहि प्रकारेँ जपानी एनसिफेलाइटिस वायरसक लेल किछु वन्य जलचर चिड़ै आ पोशुआ सुग्गर प्राकृतिक पोषक (Natural Host) केर भुमिका निभाबैछ आ एहि दुनु प्रकारक पशु – पक्षीक शरीरमे ई वायरस गुणन (Replication / Multiplication) द्वारा अपन संख्या बढ़बैछ । एहि तरहक संक्रमित चिड़ै आ सुग्गर केर खून चूसबा काल क्यूलेक्स मच्छर वायरसकेँ ग्रहण करैछ आ पुनः मनुक्खक खून चूसबा काल ओएह मच्छर मनुक्खकेँ संक्रमित करैछ । एहि तरहेँ क्यूलेक्स मच्छर वाहक (Vector) केर भुमिकाक निर्वहन करैछ । मनुक्खक रक्तप्रवाहमे (Bloodstream) पहुँचलाक बाद वायरसक संख्यामे एतेक मात्रामे वृद्धि नञि भऽ पबैछ जे पुनः कोनो मच्छरकेँ संक्रमित करय । तेँ कोनो संक्रमित मनुक्खसँ मच्छरक द्वारा आन निरोग मनुक्ख धरि ई बेमारी नञि पसरैछ । एहि प्रकारेँ मनुक्ख एहि वायरसक लेल मृत पोषक (Dead / End Host) भेल मतलब कि ई वायरस मनुक्खमे रहि तऽ सकैत अछि पर अपन संख्या नञि बढ़ा सकैछ ।

चित्र – २ – जपानी मस्तिष्क शोथक विषाणु या वायरस केर जीवन चक्र ओ संक्रमण विधि


प्रथम लक्षणोत्पत्ति अवधि (Incubation Period):

               एहि वायरसक संक्रमण बाद एहि बेमारीक प्रथम लक्षणोत्पत्ति मे प्रायः 5 सँ ‍15 दिनक समय लगैछ । पर अधिकांश संक्रमण लक्षणरहित होइछ मतलब कि रोगीमे कोनहु विशिष्ट वा घातक लक्षण नञि उत्पन्न करैछ । लगभग 300 संक्रमित व्यक्तिमेसँ मात्र 1 व्यक्ति जपानी एनसिफेलाइटिस रोगक लक्षण प्रकट करैछ । परञ्च लक्षणयुक्त रोगी सभमे मृत्यु दर 10 सँ 25 प्रतिशत अछि; जखनि कि संन्यास या कॉमा मे गेल रोगी (Comatose Patient) मे मृत्यु दर बढ़ि कऽ 40 सँ 50 प्रतिशत भऽ जाइछ । शेष लक्षणरहित संक्रमित व्यक्तिसभमे ई संक्रमण टीका  (Vaccination) जेकाँ काज करैछ आ भविष्यमे एहि वायरसक पुनर्संक्रमणसँ बेमार पड़बासँ रक्षा करैछ ।

लक्षण (Signs & Symptoms):

         जेना कि ऊपर कहल जा चुकल अछि जे ज्यादातर संक्रमण लक्षणरहित होइत अछि आ करीब 300 मे सँ मात्र 1 संक्रमण लक्षणयुक्त होइछ आ चिकित्साक अपेक्षा रखैछ । लक्षणक स्वरूप किछु निम्न प्रकारेँ अछि -

·        एकर लक्षण अकस्मात प्रकट (Acute / Sudden Onset) होइछ
·        लक्षण प्रायः बेस थरथरी या कँपकँपीक संग बोखरसँ प्रारम्भ होइछ । कएक बेर खास कऽ धिया – पुतामे पहिने पेट खराब होइत अछि आ तकर बाद मुख्य लक्षण प्रकट होइछ ।
·        बोखार 38 सँ 41 डिग्री सेन्टीग्रेड / सेल्सियस (‍100.2 सँ ‍100.8  डिग्री फारेनहाइट आ थर्मोमीटर पर 100.2 100.4 डिग्री फारेनहाइट) तक भऽ सकैत अछि ।
·        बोखारक संग - संग मथदुखी, उल्टी होएब, दौर्बल्य आदि लक्षण भेटैछ ।

         उपरोक्त लक्षणसभ एहि रोगक सामान्य लक्षण (General Signs & Symptoms) थिक जे कि प्रायः 1 सँ 6 दिन तक रहैछ । ई लक्षणसभ आन किछु संक्रमणसभमे सेहो भेटैत अछि । पर जँ ऊपर कहल गेल लक्षणसभक संग – संग नीचामे देल गेल लक्षणसभ प्रकट होमए लागए तँऽ व्याधिकेँ गम्भीर बुझबाक चाही । ई गम्भीर या विशिष्ट लक्षणसभ (Severe / Specific Signs & Symptoms) अछि :-

·        बोखार 103 डिग्री फारेनहाइट या ओहि सँ बेशी (Hyperpyrexia) होयब ।
·        दाँती लागब, फीट आयब या बेहोशीक दौड़ा पड़ब (Convulsions)
·        रोगी द्वारा गर्दनि झुका कऽ कोनो काज करबासँ हिचकिचाएब / परहेज करब (Nucchal Rigidity / Neck Stiffness)
·        देखबा, सुनबा आदिमे बाधा होयब (Altered Sensorium) या कमी आयब । बजबा काल जी लड़खड़ाएब या स्पष्ट उच्चारण नञि होयब ।
·        कोनहु एक पक्षक या एक भागक कार्यहानि या लकवा मारब (Hemiparesis / Paralysis)
·        बहुत काल धरि बेहोशी या अचेतावस्थामे (Coma) रहब ।

             एहि रोगक वायरस पुरैनक सुरक्षाव्यचस्था (Placental Barrier) केँ पार कऽ नार (Umbilical Cord / Chord) द्वारा गर्भस्थ शिशु तक पहुँचि जाइत अछि ।  तेँ जँ कोनो स्त्री गर्भावस्थाक पहिल 6 महीनामे एहि बेमारीसँ ग्रसित भऽ जाइत छथि तँऽ हुनक गर्भस्राव या गर्भपातक (Misscarriage / Abortion) सम्भावना बढ़ि जाइत अछि । संयोगसँ एहि प्रकारक घटना भारतमे कम पाओल जाइछ कारण जे बाल्यावस्थाक लक्षणरहित संक्रमणक कारणेँ भारतक अधिकांश महिलागण एहि वायरसक पुनर्संक्रमणसँ सुरक्षित भऽ गेल रहैत छथि ।

निदान (Diagnosis):

               एकर निदान लक्षणक आधारेँ पुर्ण सटीकतासँ नञि भऽ पबैछ – खास कऽ प्रारम्भिक अवस्थामे । विशिष्ट लक्षण सेहो मात्र ईशारा करैछ कि जपानी एनसिफेलाइटिस नामक बेमारीक सम्भावना अछि । पुर्ण निदानक हेतु सीरम (Serum) आ मस्तिष्क द्रव या सेरेब्रोस्पाइनल द्रव (Cerebrospinal Fluid / CSF) केर प्रयोगशालामे जाँच केर आवश्यकता पड़ैछ । सेरेब्रोस्पाइनल द्रवमे एहि वायरसक विशिष्ट प्रतिपिण्ड या एन्टीबॉडी (Antibody) IgM केर उपस्थिति शुरूआतिए अवस्थासँ रहैत अछि; जकर पता एन्जाइम लिन्क्ड इम्यूनोसोर्बेण्ट एस्से / एलाइजा (Enzyme Linked Immunosorbent Assay / ELISA) जाँच अथवा इन्डाइरेक्ट फ्लोरोसेण्ट एस्से / आइफा (Indirect Fluorescent Assay / IFA) जाँच द्वारा कएल जाइत अछि । सुविधा रहला पर आर॰टी॰-पी॰सी॰आर॰ (RT-PCR) विधि द्वारा सीधे एहि वायरसकेँ पृथक् कऽ कऽ एकर उपस्थितिक पता सेहो लगाओल जा सकैछ । एम॰ आर॰ आइ॰ (MRI) नामक जाँच मस्तिष्कक अवस्थाक बारेमे बतबैछ तेँ कराओल जाइत अछि।

चिकित्सा (Treatment):

             एहि बेमारीक वायरस लेल कोनो विशिष्ट प्रतिवायरस दवाई (Specific Antiviral Drug) एखन धरि उपलब्ध नञि अछि । चिकित्सा मुख्य रूपसँ सहायक व लक्षणानुसारहि होइत अछि । कोनहु गम्भीर लक्षणक उपस्थिति भेला पर अत्यधिक दक्षता केन्द्र मे प्रवेशक (ICU Admission) आवश्यकता पड़ैछ ।

की करबाक चाही (What To Do):

       पहिल बात जे ई लेख सामान्य लोकमे जानकारी उपलब्ध करएबाक उद्देश्यसँ लीखल गेल अछि तेँ लेखकेँ पढ़ि सवयम् चिकित्सा नञि करबाक चाही अपितु कोनो योग्य चिकित्सकक सलाह लेबाक चाही ।

         दोसर बात जे कएक बेर देखल गेल अछि कि प्रारम्भमे जखन मात्र सामान्य लक्षण उपस्थित रहैछ तखन चिकित्सकक सलाह लेल जाइत अछि । तत्पश्चात घऽर अबैत – अबैत रोगीमे सुधार होयबाक बदला आन विशिष्ट लक्षण सेहो उपस्थित होमए लगैछ । गाम घऽर मे प्रायः देखल जाइत अछि कि एहना स्थितिमे लोक अगिला दिन ओहि चिकित्सकक (जनिका सँ पहिने देखा कऽ आयल छथि) क्लिनिक फुजबाक (OPD Hours) प्रतिक्षा करैत छथि । ई सर्वथा घातक वा जानलेबा थिक । जँ ऊपर वर्णित विशिष्ट वा घातक लक्षण सभमेसँ कोनहु एकोटा लक्षण देखबामे अबैछ तँऽ रोगीकेँ तुरन्त कोनो एहेन चिकित्सालयमे लऽ जयबाक चाही जतऽ अतिदक्षता विभाग (ICU) वा बाल्य अतिदक्षता विभाग (NICU) केर सुविधा उपलब्ध हो ।  एतबहि नहि ओहि चिकित्सालयमे २४ घण्टा विशेषज्ञ चिकित्सकक आ प्रयोगशालीय परिक्षण करेबाक सुविधा हो सेहो यथासम्भव सुनिश्चित कऽ ली कारण रोगीकेँ अन्यथा एक ठामसँ दोसर ठाम लऽ जयबामे समय बर्बाद नञि हो ।

                  तेसर बात कि भ्रामक प्रचार – जेना कि कोनो फऽल या फूलकेँ सुँघबासँ जपानी मस्तिष्क शोथ होइत अछि – आदि पर ध्यान नञि दी । फूल आदि सुँघबासँ अनूर्जता या अतिसंवेदनशीलता (Allergy / Hypersensitivity) भऽ सकैत अछि पर जपानी मस्तिष्क शोथ नञि ।

बचाव (Prophylaxis):––

               एहि बेमारीसँ बचावक सभसँ प्रभावी तरीका अछि मच्छरसँ बचाव आ मच्छरसँ बचावक सभसँ सस्ता आ सर्वसुलभ तरीका अछि अप्पन आस – पास स्वच्छता राखब ओ सुतबा काल मच्छरदानी या मुसहरीक प्रयोग करब । क्यूलेक्स मच्छर प्रायः दिनमे अपेक्षाकृत कम प्रकाशबला स्थान सभ पर काटैत अछि तेँ एकरासँ बचावक लेल सभसँ नीक उपाय भेल आस – पास स्वच्छता राखब, जलजमाव नञि होमए देब, जमकल पानिकेँ निकास करब आ घऽर – आङ्गनकेँ यथासम्भव प्रकाशमान राखब । वस्त्र एहि प्रकारक हो जाहिसँ शरीरक बेशीतर भाग झाँपल हो । छोट धियापुताकेँ दिनमे सुतएबाकाल सेहो मच्छरदानी या मुशहरी केर उपयोग करबा चाही । चिकित्सालयमे प्रवेशित रोगी द्वारा सेहो मच्छरदानीक प्रयोग केँ बढ़ावा देल जा रहल अछि जाहिसँ मच्छरजनित बेमारी सभक प्रसार रोकल जा सकए । यदि चिकित्सालयमे ई सुविधा उपलब्ध नञि हो वा वेशी महग हो तँऽ रोगीकेँ स्वयम् एहि तरहक ब्यवस्था करबाक चाही – ई हुनक अप्पन हितमे होएतन्हि ।

चित्र – ३ – मनुक्खक सभसँ पैघ मथदुखीमेसँ एक - मच्छर


 जे केओ बाल्यकालमे वा बादमे कहियो एक बेर जपानी मस्तिष्कशोथसँ (लक्षणरहित वा लक्षणयुक्त) ग्रसित भेल छथि ओ आजीवन एहि बेमारीसँ सुरक्षित भऽ जाइत छथि । भारतमे जपानी एनसिफेलाइटिसक 3 प्रकारक टीका उपलब्ध अछि ।

·        पहिल अछि फॉर्मलिन इनेक्टिवेटेड माउस ब्रेन वैक्सीन या हैम्सटर किडनी वैक्सीन (Formalin - Inactivated Mouse - Brain Derived Vaccine) । ई बड्ड महग टीका अछि  आ 7 सँ ‍14 दिनक अन्तरसँ एकर 2 खोराक सबक्यूटेनियस इन्जेक्सन द्वारा देल जाइछ । तीन सालसँ ऊपरक बच्चा लेल प्रत्येक खोराकक मात्रा ‍1 मि॰लि॰ होइछ जखन कि 3 सालसँ कम वयसक धिया-पुता लेल 0.5 मि॰लि॰ अछि । 6 सँ ‍12 महीनाक बाद तेसर खोराक लेबऽ पड़ैछ आ तकर बाद हरेक 34 साल पर एक - एकटा संवर्धन खोराक (Booster Dose)
·        दोसर अछि लाइव एट्टेन्यूटेड वैक्सीन । एकर 2 टा खोराक 4 सप्ताहक अन्तरसँ सबक्यूटेनियस इन्जेक्सन द्वारा देल जाइछ ।
·        सितम्बर 2012 सँ बायोलॉजिकल ई॰ लिमिटेड (Biological E. Limited)  द्वारा निश्क्रिय कोशिका संवर्धन (Inactivated Cell Culture) तकनीक द्वारा बनाओल टीका सेहो उपलब्ध कराओल गेल अछि । ई टीका एहि वायरसक SA 14-14-2 (Strain) पर आधारित अछि आ भारतमे इन्टरसेल (Intercell) केर संग भेल प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण समझौताक (Technology Transfer Agreement) अन्तर्गत उपलब्ध कराओल गेल अछि ।

चित्र – ४ – जपानी मस्तिष्क शोथक किछु टीकासभ


           ई टीका पुर्ण रूपेण सुरक्षित मानल गेल अछि । पर जँ बच्चाकेँ पहिनेसँ बेसी बोखार हो तँऽ ओहि समय ई टीका नञि दिया कऽ बोखार के ठीक भेलाक बाद टीका दियाबी ।



                                     - डॉ॰ शशिधर कुमर "विदेह"



कतिपय संशोधनक संग मिथिला दर्शन मई-जून ‍२०१५ (वर्ष ०५ अंक ०३) मे प्रकाशित ।


 . . . 

No comments:

Post a Comment