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मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Saturday, 8 December 2012

पद्य - ९३ - आइ याद हुनिक बहुते आयल


आइ याद हुनिक बहुते आयल




आइ   याद   हुनिक,  बहुते  आयल ।
कऽ  गेल   मोन,  अतिशय  घायल ।।



नञि जानि    कतऽ सँ     कोन  वेग,
उड़ितहि – उड़ितहि  एहि ठाँ   आयल ।
संगहि   अपना,    हुनिकर    मोनक,
सन्दर्भ   केहेन,   की – की,  आनल ।

अछि   अनुनादित    मस्तिष्क – मोन,
किछु चंचल सनि, किछु किछु पागल ।।



स्मृति   पटल   पर   द्योतित   सनि,
छवि  हुनिकहि  सद्यः  अछि  आयल ।
पवनक  ओ  परस   अनुराग   भरल,
जनु प्रीति हुनिक भरि - भरि लाओल ।

श्रवणहि  ओ  हास  श्रुतिगोचर  थिक,
अछि  जकर  मोन अतिशय कायल ।।



छी  बैसल  एहि   ठाँ   क्लासहि  मे,
पर  मोन तँ  कोसहु  चलि  आयल ।
लेक्चर   श्रवणहि    श्रुतिगोचर   छी,
मन   सन्निकर्ष    हुनिक   पायल ।

लगइत अछि  जेना  ओ  आइ  एतए,
संगहि  तँ  सम्मुख  छथि  आयल ।।



उच्चारण संकेत :-


क्रम संख्या


लिखित शब्द


अभिप्रेत उच्चारण

पानि
पाइन, पइन, पैन
अछि
अइछ
अग्निराशि
अग्निराशि
राति
राइत
अन्हरिया
अन्हरिया, अन्हैरया
पुनमि
पुनैम
गति
गइत
अतिप्रबल
अतिप्रबल, अइतप्रबल
दिशि
दिशि, दिश
१०
जानि
जाइन
११
कत’
कते
१२
छाड़ि
छोइड़
१३
सनि
सइन, सन
१४
अतिशय
अतिशय, अइतशय


डॉ॰ शशिधर कुमर “विदेह”                                
एम॰डी॰(आयु॰) कायचिकित्सा                                   


विदेहपाक्षिक मैथिली इ पत्रिका, वर्ष ,  मास ५८ ,  अंक ‍११६, ‍१६ अक्टूबर २०१२ मे प्रकाशित ।




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