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मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ
मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ
Tuesday, 17 July 2012
पद्य - ८६ - अहीं सञो कहै छी
अहीं सञो कहै छी
अहीं सञो कहै छी ।
अहाँ नञि सुनै छी ।
पता नञि किए, आइ निष्ठुर बनल छी ।।
अहँ इजोरिये रही ।
हम अन्हरिये सही ।
हे अए (ऐ) चन्ना, कहाँ हऽम चानी मँगै छी ।।
प्रीति नहिञे सही ।
अनाशक्ते रही ।
मुदा घृणित मनेँ, किए नैना फेरै छी ??
छी हमहूँ मनुक्खे ।
मुदा दोष एतबे ।
हृदय मे अहँक, प्रेम प्रतिमा पूजै छी ।।
डऽर चोरिक किए ?
बरजोरीक किए ?
एहेन छी ने पतित, अहाँ व्यर्थेँ डरै छी ।।
डॉ॰ शशिधर कुमर “विदेह”
“
विदेह
”
पाक्षिक मैथिली इ
–
पत्रिका
,
वर्ष
–
५
,
मास
–
५५
,
अंक
–
११०
,
१५ जुलाई २०१२
मे “स्तम्भ ३॰२” मे प्रकाशित ।
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