बर्खा रानी - २
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दुष्कर     सौंसे     आबाजाही, 
कतेक  लोक   करतै   बैसार
? 
जतहि सञो अएलेँ ततहि पड़ा
जो,  आब ने अप्पन मूँह देखा । 
  बर्खा रानी ! आब ने आऽ ।। | 
बर्खा  रानी !  आब ने आऽ ।
दम्म  धरै 
तोँ  ले सुस्ता ।
हाथ – पएर सभ ठिठुरि गेल
अछि, आब तोँ रौदक दरस देखा ।
     बर्खा रानी ! आब ने आऽ ।।
खेल – कूद सभ बन्न पड़ल
अछि,
संगी – साथी    पड़ल  
बेमार ।
सर्दी–खाँसी,   ढों–ढों, 
खिच–खिच,
ककरो  धएने  
अछि  बोखार ।
सभठाँ  एहने सनि 
किछु  चर्चा,
एहने सनि किछु  दुखद समाद ।
पसरल  कए ठाँ 
रोग  मलेरिया,
हैजा      डेंगू     
कालाजार ।
आङ्गन  सगरो 
चाली  सह – सह,  आब ने एहेन रूप देखा ।
    बर्खा रानी ! आब ने आऽ ।।
बाट – घाट   कादो – किचकाँही,
डूबल    सौंसे 
 खेत - पथार ।
माल–जाल सभ ठिठुरि मरै अछि,
मच्छर – माछीक  बढ़ल पसार ।
लेन कटल अछि, फेज उड़ल अछि,
देखब  टी॰ भी॰  तोहर  कपार ।
दुष्कर     सौंसे     आबाजाही,
कतेक  लोक   करतै   बैसार
?
जतहि सञो अएलेँ ततहि पड़ा
जो,  आब ने अप्पन मूँह देखा ।
     बर्खा रानी ! आब ने आऽ ।।
उच्चारण संकेत :-
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क्रम संख्या | 
लिखित शब्द | 
अभिप्रेत उच्चारण | 
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१ | 
पएर | 
पएर, पैर | 
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२ | 
ठिठुरि | 
ठिठुइर | 
| 
३ | 
अछि | 
अछि, अइछ, ऐछ | 
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४ | 
धएने | 
धएने, धेने | 
| 
५ | 
सनि | 
सैन, सन | 
| 
६ | 
जतहि | 
जतैह, जतहि, जतइ | 
| 
७ | 
ततहि | 
ततैह, ततहि, ततइ | 
 

 
 
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