सनगोहि
(बाल कविता)
बहुविध पैघ - पैघ गिरगिटसभ,
कहल जाइछ मिथिलामे गोहि ।
ताहि गोहिमे किछु पीयर सनि,
सएह कहाबैत अछि सनगोहि ।।*१
थलचर जीव छी गोहि
समूहक,
पानिमे नञि ओ
हेलि पाबैतछि ।
बाढ़ि आ बरखाक
पानि बियरिमे,
तेँ मनुक्ख दिशि
ओ भागैतछि ।।*२
गोहि साँप
दूनू सरिसृप अछि,
जीह कटल अछि
तेँ आगाँसँ ।
सएह देखि कए
लोक डेराइछ,
मारि दैछ
बरछी - भालासँ ।।*३
कटल जीह केर कारण कए ठाँ,
“सनगोहि साँप” एकर छी नाम ।
एखनहु खूब भेटैतछि
जाहि ठाँ,
बाध - बोन केर
संग छी गाम ।।*४
संकेत आ किछु
रोचक तथ्य -
*१ - आइ - काल्हि ओना तँऽ मैथिलीमे “गोहि” आ “सनगोहि” पर्यायवाची शब्द जेकाँ प्रयुक्त होइत अछि । किछु लोकक निजी
धारणा इहो छन्हि जे सनगोहि गोहिसँ बेसी विषाह होइत अछि …….. आदि, आदि । मुदा वास्तवमे “गोहि” एकटा व्यापक
शब्द अछि आ बहुतहु पैघ-पैघ गिरगिटसभक (जे सामान्य गिरगिट सभसँ बेस पैघ होइत अछि)
लेल सामुहिक रूपसँ मैथिलीमे प्रयुक्त होइत अछि । गोहिकेँ
अंग्रेजीमे मॉनीटर लिजार्ड्स या वैरानस (MONITOR LIZARDS / VARANUSES) कहल जाइत अछि ।
एहि मे सँ एकटा विशेष प्रकारक
गोहि जकर चामक रंग किछु पीयर सनि वा सोनाक रंग सनि होइत अछि, से सनगोहि कहबैत अछि
। सनगोहिकेँ अंग्रेजीमे यॅलो या गोल्डेन
मॉनीटर लिजार्ड (YELLOW / GOLDEN MONITOR LIZARD) कहल जाइत अछि । एकर जैव वैज्ञानिक नाँओ वैरानस फ्लॅवेस्सेन्स
(Varanus flavescens) अछि ।
*२ - ई थलचर प्राणी
अछि आ प्रायः नम (आर्द्र) ओ छाहरियुक्त जमीन पर बियरि (बिल) बनाए रहैत अछि ।
बाढ़िक समय बियरिमे पानि भरि जएबाक कारणेँ प्रायः मनुक्कक आवास-क्षेत्र दिशि बौआइत
भेटैत अछि ।
*३ - सनगोहि साँप
जेकाँ विषयुक्त नञि होइत अछि मुदा साँपहि जेकाँ ओकरहु जीह आगाँसँ कटि दू भागमे
बँटल रहैत अछि । तेँ लोक विशेष डेराइत अछि आ बहुधा भाला, बर्छीसँ मारि दैत अछि ।
*४ - द्विभाजित जीहक
(Bifid tongue) कारण सनगोहिकेँ मिथिलाक किछु भागमे “सनगोहि साँप” सेहो कहल जाइत अछि ।
मैथिली
पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 225म अंक (01 मई 2017) (वर्ष 10, मास 113, अंक 225) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।
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