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मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Wednesday, 17 May 2017

पद्य - २४‍१ - सनगोहि (बाल कविता)

सनगोहि (बाल कविता)





बहुविध पैघ - पैघ  गिरगिटसभ,
कहल जाइछ  मिथिलामे गोहि ।
ताहि गोहिमे  किछु पीयर  सनि,
सएह  कहाबैत अछि सनगोहि ।।*

थलचर जीव छी  गोहि  समूहक,
पानिमे नञि ओ हेलि पाबैतछि ।
बाढ़ि आ बरखाक पानि बियरिमे,
तेँ मनुक्ख दिशि ओ भागैतछि ।।*

गोहि  साँप  दूनू  सरिसृप अछि,
जीह  कटल अछि  तेँ  आगाँसँ ।
सएह  देखि कए  लोक  डेराइछ,
मारि  दैछ   बरछी - भालासँ ।।*

कटल जीह केर  कारण कए ठाँ,
सनगोहि साँप एकर छी नाम ।
एखनहु खूब  भेटैतछि  जाहि ठाँ,
बाध - बोन केर संग छी गाम ।।*

संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* -   आइ - काल्हि ओना तँऽ मैथिलीमे गोहिसनगोहि पर्यायवाची शब्द जेकाँ प्रयुक्त होइत अछि । किछु लोकक निजी धारणा इहो छन्हि जे सनगोहि गोहिसँ बेसी विषाह होइत अछि …….. आदि, आदि । मुदा वास्तवमे गोहि एकटा व्यापक शब्द अछि आ बहुतहु पैघ-पैघ गिरगिटसभक (जे सामान्य गिरगिट सभसँ बेस पैघ होइत अछि) लेल सामुहिक रूपसँ मैथिलीमे प्रयुक्त होइत अछि । गोहिकेँ अंग्रेजीमे मॉनीटर लिजार्ड्स या वैरानस (MONITOR LIZARDS / VARANUSES) कहल जाइत अछि ।

               एहि मे सँ एकटा विशेष प्रकारक गोहि जकर चामक रंग किछु पीयर सनि वा सोनाक रंग सनि होइत अछि, से सनगोहि कहबैत अछि । सनगोहिकेँ अंग्रेजीमे यॅलो या गोल्डेन मॉनीटर लिजार्ड (YELLOW / GOLDEN MONITOR LIZARD) कहल जाइत अछि । एकर जैव वैज्ञानिक नाँओ वैरानस फ्लॅवेस्सेन्स (Varanus flavescens) अछि ।

* - ई थलचर प्राणी अछि आ प्रायः नम (आर्द्र) ओ छाहरियुक्त जमीन पर बियरि (बिल) बनाए रहैत अछि । बाढ़िक समय बियरिमे पानि भरि जएबाक कारणेँ प्रायः मनुक्कक आवास-क्षेत्र दिशि बौआइत भेटैत अछि ।

* - सनगोहि साँप जेकाँ विषयुक्त नञि होइत अछि मुदा साँपहि जेकाँ ओकरहु जीह आगाँसँ कटि दू भागमे बँटल रहैत अछि । तेँ लोक विशेष डेराइत अछि आ बहुधा भाला, बर्छीसँ मारि दैत अछि ।

* - द्विभाजित जीहक (Bifid tongue) कारण सनगोहिकेँ मिथिलाक किछु भागमे सनगोहि साँप सेहो कहल जाइत अछि ।



मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍225म अंक (‍01 मई 2017) (वर्ष 10, मास 113, अंक ‍225) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।






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