सभ सँ रसगर माएक भाषा (गीत)
“विदेह” पाक्षिक मैथिली इ – पत्रिका, वर्ष – ४, मास – ४६, अंक – ९१, दिनांक - ०१ अक्टूबर २०११ मे प्रकाशित ।
सभ सँ रसगर माएक भाषा,
भाषा सँ मीठ नञि हो मिसरी ।
करी ज्ञानार्जन पढ़ि बहुत विधा,
पर निज भाषा केँ जुनि बिसरी ।।
भाषा जे पशु सँ भिन्न केलक,
भावाभिव्यक्ति केर चिन्ह देलक ।
रटि दोसर बोली, बनि सुग्गा,
अहँ ओहि भाषा केँ जुनि बिसरी ।
सभ सँ रसगर माएक भाषा,
भाषा सँ मीठ नञि हो मिसरी ।।
हो सारि प्रिय, सरहोजि प्रिय,
पत्नी केँ राखी सटा हृदय ।
पर अछि अस्तित्व जनिक कारण,
अहँ ओहि माता केँ जुनि बिसरी ।
सभ सँ रसगर माएक भाषा,
भाषा सँ मीठ नञि हो मिसरी ।।
माएक भाषा , अप्पन भाषा ।
मिथिला – भाषा, अप्पन भाषा ।
परहेज किए एहि भाषा सँ ?
आउ एहि पर हम सभ गर्व करी ।
सभ सँ रसगर माएक भाषा,
भाषा सँ मीठ नञि हो मिसरी ।।
“विदेह” पाक्षिक मैथिली इ – पत्रिका, वर्ष – ४, मास – ४६, अंक – ९१, दिनांक - ०१ अक्टूबर २०११ मे प्रकाशित ।
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