हम नञि कहब कि ......... (गीत)
हम नञि कहब कि फूल मे गुलाब छी अहाँ, |
हम नञि कहब कि फूल मे गुलाब छी अहाँ,
हमर जिनगी केर स्वप्न ओ “ताज” छी अहाँ ।
मुदा जिनगीक एकसरि अन्हरिया मे विकसित,
सुन्नर ओ सुमधुर प्रभात छी अहाँ ।।
हम नञि कहब कि “सुष्मिता” सँ नीक छी अहाँ,
“ऐश्वर्या” केर जेरॉक्स प्रतीप छी अहाँ ।
अहाँ नञि चाही हमरा, ई इच्छा अहँक,
मुदा अहीं हमर अन्तरा , ओ गीत छी अहाँ ।।
किछु अन्यथा ने सोचब, से आग्रह हमर,
एक कवि केर दुस्साहस केँ कऽ देब क्षमा ।
अहाँ अँऽही रहब, हऽम हमही रहब,
अहँक चाहत रखबाक हमर हस्ती कहाँ !!
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