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मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Tuesday, 31 January 2017

पद्य - ‍२‍३२ - कठसुग्गी / कठसुगीया (बाल कविता)

कठसुग्गी / कठसुगीया (बाल कविता)






हरियर हरियर चिड़ै छै बैसल ।
बऽड़क फऽड़  भखै छै  बैसल ।
नञि सुगवा-सीकी ने हरियल ।
नाम ओकर कह बुच्ची !! *‍१

लोल ओकर मजगूत लगै छै ।
ठक् - ठक् गाछक काठ खोधै छै ।
ठोस लोल  आबाज  करै छै ।
छै ने मुदा कठखोद्धी ।।*

सूर्योदय खन बड़ चहकै छै ।
मुदा ने  तकलासँ  भेटै छै ।
जानि कतए नुका रहै छै
हड़बड़ाए देखि लुक्खी ।।*

बच्चा हरियर रंग गात छै ।
चेतन गर्दनि-माथ लाल छै ।
जहिना बऽड़क फऽड़ - पात छै
नाम ओकर कठसुग्गी ।।*





संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - हरियर रंगक चिड़ै सभमे अपना दिशि सभसँ प्रशिद्ध अछि सुग्गा आ हरियल । सुगवा सीकी सेहो हरियर रंगक होइत अछि । एहि कवितामे वर्णित चिड़ै सेहो हरियर रंगक अछि मुदा एहिठाँ नामित चिड़ै सभमेसँ नञि अछि ।

* - एहि कवितामे वर्णित चिड़ैकेँ मजगूत लोल होइत छै जाहिसँ ओ गाछक काठकेँ खोधि अपना रहबा लेल घऽर बनबैत अछि । सक्कत लोलसँ काठ पर प्रहार करबाक कारणेँ ठक् - ठक् केर स्इष्ट ध्वनि सेहो कर्णगोचर होइत अछि । मुदा तथापि ओ कठखोद्धी नामक चिड़ै नञि अछि ।

* - सूर्योदय खन सूर्य पहिल किरण पड़लाक लगभग एक घण्टा धरि ई चिड़ै खूब जोर - जोरसँ चहचहाइत अछि मुदा गाछक नीचाँ ठाढ़ भए ऊपर तकला पर देखबामे नञि अबैत अछि वा बड्ड मोश्किलसँ गोटेक - दूटा देखाइ दैत अछि । एकर मुख्य कारण ओहि चिड़ै केर रंग अछि जे गाछक पात पर पड़ैत सूर्य किरणसँ हू-ब-हू मेल खाइत अछि ।

* - कठसुग्गीक उपरुका लोलक ठीक ऊपर कड़गर नम्मा केस सदृश किछु संरचना होइत अछि जकरा अंग्रेजीमे बॉर्ब (BARB) कहल जाइत अछि । तेँ कठसुग्गीकेँ अंग्रेजीमे बार्बेट (BARBET) नामक चिड़ै कहल जाइत अछि । कठसुग्गीक कएक टा भेद - प्रभेद अछि जकरा जीवविज्ञानमे अलग-अलग जातिक (Species) रूपमे वर्गीकृत कएल गेल अछि । एहिमेसँ एकटा भेद जे अपना दिशि खूब भेटैत अछि, से अछि लाल माथ बला कठसुग्गी (COPPERSMITH BARBET) जकर वयस्कावस्थामे माथक ऊपर सुन्नर लाल रंगक मुकुट सनक संरचना रहैत अछि । एहने लाल रंगक संरचना गर्दनिपर अगिला भागमे सेहो रहैत अछि । एहि चिड़ै केर बाल्यकालमे एहि तरहक कोनहु लाल संरचना नञि रहैत अछि । एकर रंग आ बगए - बानी भोरुका रौद पड़ैत बऽड़क पातक ओ फऽड़क रंगसँ तेना ने मेल खाइत अछि कि सोझाँ रहितहुँ मनुक्खक आँखिकेँ ता धरि चिन्हबामे नञि आबैत अछि जा धरि ओ कोनहु प्रकारक हलचल नञि करैछ ।

     अपना दिशि बेसी भेटए बला कठसुग्गीक दोसर प्रकार अछि भूरा या मटियाही माथ बला कठसुग्गी (BROWN HEADED BARBET) जकर जीवनकालक कोनहु अवस्थामे गर्दनि ओ माथ पर लाल रंगक कोनहु संरचना नञि होइत अछि । एकर माथ ओ गर्दनिक रंग भूरा या गाढ़ मटियाही रंगक होइत अछि ।


मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍218म अंक (‍15 जनबरी 2017) (वर्ष 10, मास 109, अंक ‍218) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।



पद्य - ‍२‍३‍१ - भगजोगनी (बाल कविता)

भगजोगनी (बाल कविता)





गे भगजोगनी, बड़ चमकै छेँ !
कतएसँ  बिजुरी  अनने  छेँ ।
घुप्प अन्हरिया,  बाटक कातेँ,
चकमक चकमक कएने छेँ ।।

आबि   गेलेँ   हमरा   सोझाँ,
हमरा  हाथक  तरहत्थी  पर ।
बिजुरीसँ  ने  हाथ  जरैतछि,
छौ  इजोत  तोहर शीतल ।।*

पेटक निचुला भाग पता नञि,
केहेन  माया   रचने   छेँ !
डिबिया - टेमी बिना तोँ सौंसे,
भुक्-भुक् भुक्-भुक् कएने छेँ ।।

पीच सड़क केर कातेँ - कातेँ,
जमकल पानि आ गाछ छै
ताहि गाछ पर  सत्ता - सोड़े,
भगजोगनी केर  बास छै ।।*

भारी  बरखा  आ  ठण्ढीमे,
पतनुकान  लऽ  लैत  छै ।
बरखक शेष समएमे तँऽ,
भुक् - भुक् - भुक् चमकैत छै ।।*

भगजोगनीकेँ पकड़ि -  पकड़ि,
बन्न  करैत छी  शीशीमे ।
भूर  छी  कएने  मुन्नामे,
साँस लेबा  लेल शीशीमे ।।*






संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - भगजोगनीक उदर भाग (VENTRAL SURFACE) केर नीचाँमे विशिष्ट अवयवी संरचना होइत अछि जकरा प्रकाश उत्पादक अंग (LIGHT EMITTING ORGANS) कहल जाइत अछि । एहिमे ल्यूसीफेरेज (LUCIFERASE) नामक एकटा किण्वक या एञ्जाइम (ENZYME) होइत अछि जे ऑक्सीजन आ मैग्नेशियम आयनक (Mg++) उपस्थितिमे ल्यूसीफेरीन (LUCIFERIN) नामक रासायनिक पदार्थ पर क्रिया कऽ कऽ प्रकाश या इजोत उत्पन्न करैछ । एहि तरहेँ इजोतक उत्पत्ति जैव संदीप्ति (BIOLUMINESCENCE) केर उदाहरण अछि । भगजोगनीक एहि इजोतकेँ शीत इजोत (COLD LIGHT) कहल जाइत अछि । एहि इजोतमे पराबैगनी (ULTRA VIOLET) अवरक्त (INFRA RED) किरण नञि रहैत अछि । अवरक्त किरणक अनुपस्थितिक कारणेँ एहिमे उष्णता या गर्मी नञि रहैत अछि आ तेँ छुअबा (छूबा) पर हाथ नञि पाकैत अछि । विश्वमे भगजोगनीक करीब दू (दुइ) हजार जाति (SPECIES) होइत अछि । भगजोगनीक विभिन्न जाति-प्रजातिक अनुसारेँ एहि इजोतक रंग पीयर, हरियर या पिरौंछ लाल भऽ सकैत अछि ।

* - भगजोगनी दलदली अथवा पानि लागल ओ गाछ-बिरिछसँ युक्त जगह सब पर रहैत अछि । एहि तरहक आवास क्षेत्र (HABITAT) अपना दिशि पीच (पक्का) सड़कक कातेँ-कातेँ आसानीसँ भेटि जाइत अछि कारण अछि ओहि सड़कक दूनू कात माटि कटलासँ गँहीर भेल स्थानमे बरख या बाढ़िक पानिक जमाव आ संगहि - संग भेल वृक्षारोपण ।

* - आन सन्धिपाद प्राणी (Arthropods) सब जेकाँ भगजोगनी सेहो शीतरक्तीय प्राणी (Cold blooded / Poikilothermal animal) अछि आ तेँ ठण्ढीक समएमे ओ पतनुकान लऽ लैत अछि अर्थात् शीतनिष्क्रिय अवस्थामे (Hibernating Stage) चलि जाइत अछि । किछु तँऽ बेङ्ग आ भेंक जेकाँ माटिक भीतर नुकाए रहैत अछि । तहिना बेसी तेज बरखा भेला पर सेहो ।

* - बहुतहु लोक अपन नेनपनमे भगजोगनीकेँ पकड़ि शिशीमे किछु काल वा किछु दिनक लेल बन्न कएने होएताह आ एखनहु धियापुता सब करैत अछि ।



मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍218म अंक (‍15 जनबरी 2017) (वर्ष 10, मास 109, अंक ‍218) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।





पद्य - ‍२‍३० - मच्छर (बाल कविता)

मच्छर (बाल कविता)






दुनिञामे  मनुक्खक आगमसँ,
बड़  पहिनेसँ  मच्छर अछि ।*
छोट जीव,  मुदा पैघ जीवकेँ,
कएने बहुत उछन्नर अछि ।।

मच्छर केर जे  पुरुष रूप से,
पुष्प - परागकेँ चूसैत अछि ।
मच्छर केर  स्त्रैन रूप  मुदा,
खून पीबि कऽ जीबैत अछि ।।*

मच्छर अपनहि छोट अछैतहुँ,
सूक्ष्मजीव केर आश्रय अछि ।
ओक्कर लेड़ - ग्रण्थिमे कएटा,
परजीवी  केर  प्रश्रय  अछि ।।*

खून  चूसबा काल  लेड़ संग,
परजीवी   प्रस्थान  करैछ ।
जकर खून चूसल जा रहलए,
तकर  काय  स्थान  धरैछ ।।

नऽव  कायमे  ओ  परजीवी,
रोगक अछि निर्माण करैत ।
संग मनुक्खक आनहु पशुमे,
नूतन ब्याधि-विधान करैछ ।।*

जापानी एनसिफेलाइटिस ओ,
डेङ्गू   आओर   मलेरिया ।
चिकेन गुनिञा सनक बेमारी,
अथवा   रोग   फलेरिया ।।*

मच्छर  छी बड़ असञ्जाति, ओ
हर युक्तिक प्रतिरोध गढ़ैछ ।
मशहरीक नञि तोड़ कोनहु छी,
मच्छर केर अवरोध करैछ ।।*





संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - एहि धरती पर जीवनक क्रमविकाशमे (Organic Evolution) नवीन मतानुसार मच्छरक उद्गम कमसँ कम 2 अरब 30 करोड़ वर्ष पहिने भेल छल जखनि कि आधुनिक विज्ञानानुसार मनुक्ख वंशक (Genus - Homo) उद्भव करीब 2 करोड़ वर्ष पहिनहि भेल अछि । आधुनिक मानव (Homo sapiens) केर उत्पत्ति तँऽ मात्र 2 लाख 50 हजार वर्ष पहिने बताओल जाइत अछि ।

* - पुरुष वा नर मच्छर पुष्प पराग पीबि (पिउबि) कऽ अपन जीवन निमाहैत अछि जखनि कि स्त्री या मादा मच्छर मनुक्खक अतिरिक्त किछु आन जन्तु सभक खून पीबि (पिउबि) जीवन निर्वाह करैछ । एकर पोषक जन्तु सबमे (Host animals) किछु रीढ़धारी आ किछु आन सन्धिपाद प्राणी सभ रहैत अछि । रीढ़धारी प्राणी सभमे स्तनपायी (Mammals), चिड़ै (Birds), सरिसृप (Reptiles), उभयचर (Amphibians), मत्स्य (Fishes) आदि वर्गक प्राणी सभ एकर पोषक जन्तु (Host animals) भऽ सकैत अछि ।

* * - स्त्री मच्छरक लेर ग्रण्थिमे (Salivary gland) बहुत रास अन्तः परजीवी सभ (Internal Parasites) निवास करैत अछि । जखन कोनहु परजीवीसँ संक्रमित वा व्यापित स्त्री मच्छर (Infected or Infested Female Mosquito) कोनहु पोषक जन्तु केर खून चूसैत (चूषैत) अछि तँऽ ओ परजीवी मच्छरक लेर (Saliva) केर संग ओहि पोषक जन्तुक रक्त परिसंचरण तन्त्रमे (Haemo Circulatory system) प्रवेश पबैछ । तकर बाद अपन विशिष्ट जीवन चक्रक (Specific Life Cycle) अनुसार ओहि पोषक जन्तुकेँ विभिन्न तरहक रोगसँ आक्रान्त करैछ ।

*- मनुक्खक मच्छर जनित बेमारी सबमे किछु प्रमुख अछि

·        मलेरिया (Malaria)
·         फलेरिया (Filariasis / Elephantiasis)
·        जपानी मस्तिष्क शोथ (Japanese Encephalitis)
·        डेङ्गू या डेङ्गी (Dengue)
·         चिकनगुनिञा (Chickengunya)
·        जिका वायरस बोखार (Zika Virus Fever)
·        पच्छिमी नील वायरस बोखार (West Nile Fever) आदि ।

*- कोनहु प्रकारक मच्छरनाशी वा मच्छररोधी रसायनक प्रति मात्र किछुअहि साल वा महीनामे मच्छर प्रतिरोध (Resistance) उत्पन्न कऽ लैत अछि ओ ओकरा बेअसरि कऽ दैत अछि । मच्छरसँ बचबाक लेल मशहरीक प्रयोग सस्ता आ रामबाण तरीक अछि । मैथिलीमे मच्छरमशहरीदूनू तद्भव शब्द भेल जकर मूल संस्कृत शब्द क्रमशः मत्सरमशकहरी अछि ।



मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍218म अंक (‍15 जनबरी 2017) (वर्ष 10, मास 109, अंक ‍218) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।