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मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Sunday, 28 December 2014

पद्य - ‍१०० - परिवर्तन

परिवर्तन



परिवर्तन  जिनगीक  नियम छी,  परिवर्तन  होएबे  करतै ।
वर्तमान जे  घटित भऽ रहल,  से  अतीत  होएबे  करतै ।।

परिवर्तन  नहि  रोकि  सकै छी,  परिवर्तन तँऽ शाश्वत छै ।
एकर सिवा सबकिछु धरतीपर, अजर-अमर नञि, नश्वर छै ।।

परिवर्तन  केर  नियम  सृष्टि केर,  एकमात्र  उत्प्रेरक छी ।
आदि – अन्त, निर्माण – ध्वंश केर, इएहमात्र सम्प्रेरक छी ।।

काल बुझू  वा  समय  कहू,  एकरहि रूपेँ परिलक्षित अछि ।
जगत नचाबए इएह नियम,  अपने तँऽ अतिसंरक्षित अछि ।।

अनुकूलेँ  हो  वा  प्रतिकूलेँ,   परिवर्तन   नहिञे   रुकतै ।
परमेश्वर केर  परमशक्ति ई,  अपन  राह  चलबे  करतै ।।

मानव  जे  प्रतिकूलहुमे,  अनुकूल  बाट  एक बना सकए ।
सएह  जीवनक  चित्रपटक,  सर्वोत्तम  अभिनेता   कहबए ।।



28 DEC. 2014  कऽ प्रकाशनार्थ पुर्वोत्तर मैथिल (समाज) केर सम्पादकीय कार्यालयकेँ प्रेषित ।

मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍193म अंक (‍01 जनबरी 2016) (वर्ष 9, मास 97, अंक ‍193) मे प्रकाशित ।

पद्य - ‍९९ - ।। नववर्ष मंगलमय हो ।। (कविता)


।। नववर्ष मंगलमय हो ।।





नववर्ष   मंगलमय    हो ।
नववर्ष   मंगलमय    हो ।
शुभ  भावनाक  उदय  हो ।
नववर्ष   मंगलमय    हो ।।

नव  प्रेरणाक   लय   हो ।
नव   सर्जनाक  उदय  हो ।
ई  विश्व   ऊर्जामय   हो ।
नववर्ष   मंगलमय    हो ।।

दुःख - क्लेश केर क्षय  हो ।
नञि  वेदना आ  भय  हो ।
सभ  स्वस्थ ओ निर्भय हो ।
नववर्ष   मंगलमय    हो ।।

सुख - शान्ति केर जय हो ।
बस  सत्य टा  अजेय  हो ।
नव  चेतनाक   उदय  हो ।
नववर्ष   मंगलमय    हो ।।



28 DEC. 2014  कऽ प्रकाशनार्थ मिथिला दर्पण केर सम्पादकीय कार्यालयकेँ प्रेषित ।

मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍193म अंक (‍01 जनबरी 2016) (वर्ष 9, मास 97, अंक ‍193) मे प्रकाशित ।

पद्य - ‍९८ - गीत - गजल (कविता)

गीत - गजल




अहँ कहैत छी,  गजल कहू,  हे यौ  गीत  किए  सुनबै छी ।
हम कहैत छी,  गीत लिखब,  हम गीते   गजल  बुझै छी ।।

अहँ कहैत छी,  हमर  गीतमे,  गजलक  कए - ठाँ  आभा ।
हम कहैत छी,  गजल  छी  गीते,  गीत  काव्यकेर  झाबा ।।

अहँ कहैत छी, गजल गजल छी,  गजलक नञि छी पड़तर ।
हम कहैत छी,  सब अनूप छी,  एकक  सम  कहँ  दोसर ।।

अहँ कहैत छी,  गजल  अलग  छी,  गजल विशिष्ट मनोहर ।
हम कहैत छी, गजल  गीत  केर,  विशिष्ट रूप एक सुन्नर ।।

अहँ कहैत छी,  गजल - व्याकरण,  गीतक  की  परिभाषा ?
हम  कहैत  छी,  गेय  गीत  छी,  जगजीतक  वा  आशा ।।



28 DEC. 2014  कऽ प्रकाशनार्थ पुर्वोत्तर मैथिल (समाज) केर सम्पादकीय कार्यालयकेँ प्रेषित ।