Pages

मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

Powered By Blogger

Monday 15 August 2011

पद्य - २ - हम मैथिल ! मिथिला केर सन्तान

हम मैथिल ! मिथिला केर सन्तान

म मैथिल !  मिथिला केर सन्तान ।
नञि  दुनिञा  केर  कनिञो  ध्यान ।
की होयत सोचि  भविष्य विषय,  हम तऽ अतीत  केर करी गान ।
                        हम  मैथिल ! मिथिला केर सन्तान ।।

नञि  दुनिञा  सँ, कनिञो घबड़ायब ।
नञि प्रगति देखि कऽ हम ललचायब ।
छल  हमर  अतीत   बहुत   सुन्नर,
तेँ   रहत   भविष्यहु  नीक  हमर ।
की अजगर  करइत अछि चिन्ता ? अरे  सबहक दाता , अपनहि राम ।
                            हम  मैथिल ! मिथिला केर सन्तान ।।

विज्ञानक द्वारि,  अशान्तिक द्वारि ।
एहि  सँ  नीक,  बैसी   चौपाड़ि
करी   अराड़ि  आ  पढ़ी   गारि ।
नञि  ताहि  सँ जीती, करी मारि ।
अछि  फॉर्मूला - परिभाषा  व्यर्थ ।
चान – विजय  अभिलाषा  व्यर्थ ।
की धरती’क चान  अलोपित अछि , जे करी गगन  चानक अभियान ?
                           हम  मैथिल ! मिथिला केर सन्तान ।।

हम  मानि लेल  अहँ  सर्वश्रेष्ठ ।
लाठी  भाँजए  मे  छी  यथेष्ठ ।
अहँ  शूरवीर,  अहँ  परम वीर ।
अहँ   कर्मवीर,  अहँ  धर्मवीर ।
अहँ माए  मैथिलीक पुत्र  धीर,  जे सहि सकलहुँ  माएक अपमान ।
                         अहँ मैथिल , मिथिला केर सन्तान ।।

विदेहपाक्षिक मैथिली इ पत्रिका, वर्ष , मास ४४, अंक ८८, ‍दिनांक - १५ अगस्त २०११ मे प्रकाशित । 


 

No comments:

Post a Comment