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Saturday, 4 March 2017

पद्य - ‍२‍३४ - घोरन (बाल कविता)

घोरन (बाल कविता)





चुट्टी सनि छी   वा चुट्टी छी,
चुट्टीसँ  किछु  भिन्नहु छी ।
चुट्टा सनि  छी  रूप  मुदा,
संतोला   रंगक  ई   छी ।।*

आम या जामुन केर गाछ पर,
रहइछ    प्रायः    सोहरल ।
जखने केओ  चढ़ैछ  गाछ पर,
ओकरा   देहमे    लुधकल ।।

आमक गाछक पात सीबि कऽ,
गोल - गोल  खोंता  बनबए ।
चुट्टा सनि ई जीव छी घोरन,
आ  घोरन छत्ता  बनबए ।।*

अपना  देशक  वन्य  भागमे,
जन - जातिक आहार थिकै ।
भुजिया चटनी बहुत चहटगर,
अम्मत खटगर स्वाद थिकै ।।*

पात  सीबैछ,  तेँ   अंग्रेजीमे,
 वीवर ऑण्ट छै नाम ओकर
ग्रीन’ माने जंगल सेहो होइए,
ग्रीन ऑण्ट सेहो नाम ओकर ।।*





संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - मोटा-मोटी जँ देखी तँऽ घोरन सेहो चुट्टीएक (चुट्टीअहिक) प्रभेद छी, मुदा तथापि अपन विशिष्टताक कारणेँ ई चुट्टीसँ फराक छी ।

* - आम, जामुन आदि गाछक स्वस्थ पातकेँ सीबि (सिउबि) कऽ घोरन रहबाक लेल घऽर बनबैछ जकरा घोरनक छत्ता (COMB OF A WEAVER / GREEN ANT) कहल जाइत अछि । सिउब = सीअब वा सीयब; सिउबैछ = सीबैछ ।

* - अपना देशक जनजातिय भागमे आ विश्वमे आन बहुतहु ठाम घोरनकेँ भूजि कऽ वा चटनी बनाए कऽ वा आन तरहेँ खाएल जाइत अछि ।

* - पात सीबि कऽ छत्ता बनएबाक कारण अंग्रेजीमे एकरा वीवर अण्ट (WEAVER ANT) आ गाछ पर रहबाक कारण ग्रीन अण्ट (GREEN ANT) कहल जाइत अछि । एहि ठाम ग्रीन (GREEN) केर मतलब हरियर रंग नञि अछि अपितु जंगल अछि ।



मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍219म अंक (‍01 जनबरी 2017) (वर्ष 10, मास 110, अंक ‍219) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।



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