देबाड़
या दिबाड़ (बाल कविता)
कतबहु हो मजगूत मकान ।
चाहे हो
परोपट्टाक शान ।
भूकम्प - बाढ़ि -
अन्हररोधी ।
या तड़ितपात - ठनकारोधी ।
पर तइयो ने अजर -
अमर बुझियौ, कारण एक्कर छी दिबाड़ ।।
छी दिबाड़
बड़ ढीठ जीव ।
बड़ असंजाइत नाशी ई जीव ।
भीजल - भू छाहरि एकर डीह ।
नञि सुखलहुमे ई
करैछ पीठ ।
ओ रक्षित नञि
स्थान कोनहु, पहुँचए नञि जाहिठाँ ई दिबाड़ ।।*१
छी भाँति - भाँति
केर रंग रूप ।
जल - थल सभठाँ
भेटै ई भूप ।
किछु लागै उजरा चुट्टी सनि
।
किछु उड़ैबाला कीड़ी सनि ।*२
हर निर्माणक
ढाहैछ अहं, जे छोट जीव
कहबैछ दिबाड़ ।।
संकेत आ किछु
रोचक तथ्य -
*१ - दिबाड़ यद्यपि भीजल
(वा नम वा आर्द्र) आ छाहरियुक्त स्थान पर बेसी भेटैत अछि मुदा सही कही तँऽ धरतीक
दूनू ध्रुवीय (आर्कटिक ओ अण्टार्कटिक) प्रदेशकेँ छोड़ि विश्वमे सभठाँ भेटैत अछि ।
*२ - दिबाड़केँ
अंग्रेजीमे व्हाइट ऑण्ट (WHITE
ANT = उजरा चुट्टी) कहल जाइत
अछि । सम्भवतः तेँ कल्याणी कोशमे एकरा चुट्टीक एक प्रकार कहल गेल अछि मुदा जीव
विज्ञानक अनुसारेँ ई चुट्टीक प्रकार नञि अछि अपितु जैविक क्रमविकाशमे चुट्टीसँ
बहुत दूर अछि । उनटहि दिबाड़ जैविक क्रमविकाशमे सनकिड़बाक बेसी नजदीक अछि ।
मैथिली
पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 219म अंक (01 जनबरी 2017) (वर्ष 10, मास 110, अंक 219) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।
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