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Saturday, 4 March 2017

पद्य - ‍२‍३३ - देबाड़ या दिबाड़ (बाल कविता)

देबाड़ या दिबाड़ (बाल कविता)





कतबहु हो  मजगूत  मकान ।
चाहे  हो  परोपट्टाक  शान ।
भूकम्प - बाढ़ि - अन्हररोधी ।
या  तड़ितपात - ठनकारोधी ।
पर तइयो ने अजर - अमर बुझियौ, कारण एक्कर छी दिबाड़ ।।

छी  दिबाड़  बड़  ढीठ  जीव ।
बड़ असंजाइत  नाशी ई जीव ।
भीजल - भू छाहरि एकर डीह ।
नञि सुखलहुमे ई करैछ पीठ ।
ओ रक्षित नञि स्थान कोनहु, पहुँचए नञि जाहिठाँ ई दिबाड़ ।।*‍१

छी भाँति - भाँति केर रंग रूप ।
जल - थल सभठाँ भेटै ई भूप ।
किछु लागै  उजरा चुट्टी सनि ।
किछु   उड़ैबाला   कीड़ी   सनि ।*
हर  निर्माणक  ढाहैछ  अहं,  जे छोट जीव  कहबैछ  दिबाड़ ।।








संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - दिबाड़ यद्यपि भीजल (वा नम वा आर्द्र) आ छाहरियुक्त स्थान पर बेसी भेटैत अछि मुदा सही कही तँऽ धरतीक दूनू ध्रुवीय (आर्कटिक ओ अण्टार्कटिक) प्रदेशकेँ छोड़ि विश्वमे सभठाँ भेटैत अछि ।

* - दिबाड़केँ अंग्रेजीमे व्हाइट ऑण्ट (WHITE ANT = उजरा चुट्टी) कहल जाइत अछि । सम्भवतः तेँ कल्याणी कोशमे एकरा चुट्टीक एक प्रकार कहल गेल अछि मुदा जीव विज्ञानक अनुसारेँ ई चुट्टीक प्रकार नञि अछि अपितु जैविक क्रमविकाशमे चुट्टीसँ बहुत दूर अछि । उनटहि दिबाड़ जैविक क्रमविकाशमे सनकिड़बाक बेसी नजदीक अछि ।


मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍219म अंक (‍01 जनबरी 2017) (वर्ष 10, मास 110, अंक ‍219) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।



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