Pages

मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

Powered By Blogger

Sunday, 1 February 2015

पद्य - ‍१०‍२ - ओ कहलन्हि (कविता)

ओ कहलन्हि (कविता)




ओ कहलन्हि, धुर की लिखै छी, बाउ ई सभ मैथिलीमे ।
छी किए  एते माथ  धुनइत,  अहँ  अनेरो  मैथिलीमे ।।

ज्ञान  ओ  विज्ञान  केर छी,  बात  ऊकरू  मैथिलीमे ।
अहँ कलमकेँ  क्लेश दै छी,  लीखि ई सभ  मैथिलीमे ।।

के बूझत आ की बूझत,  के पढ़त  ई सभ  मैथिलीमे ?
जँ अपन  कल्याण चाही,  जुनि लिखू अहँ  मैथिलीमे ।।

मान  ओ  सम्मान  बिरलेकेँ,   भेटैतछि   मैथिलीमे ।
बजनिहारो  नञि  बुझैतछि,  ओ  बजैतछि मैथिलीमे ।।

राष्ट्रभाषामे  लिखब  तँऽ,  नाम  होयत  देश  भरिमे ।
आङ्ग्लभाषा जँ लिखी,  चर्चा  होयत  सगरो जगतमे ।।

हाथ  आओत  बेस  कैंचा,  की  भेटैतछि  मैथिलीमे ?
मैथिली  केर  क्षेत्र  सीमीत,  के पढ़ैतछि  मैथिलीमे ??

एक  साँसेँ  कहि  सुनेला,  बेस  सभटा   मैथिलीमे ।
हम कहल - संतुष्ट छी हम, लीखि सभटा  मैथिलीमे ।।

राष्ट्रभाषा - आङ्ग्लभाषा – नीक  सभ  भाषा  लगैए ।
मातृभाषा  केर  बिना  पर,  सुन्न सभ भाषा लगैए ।।

जे कहल से भल कहल, छी बेस ओ अपनेक नजरिमे ।
डऽर जञो रहितए समाठक, माथ ने रखितहुँ ऊखरिमे ।।

छी  जनैत  संस्कृत  हम,  अंग्रेजी आ हिन्दी मराठी ।
द्वेष नञि, पर मैथिलीक छी बात अलगे, अलग ठाठी ।।

याद  करू  नेनपन अपन, कहियो जखन थाकल रही ।
पाबि  माएक कोर  तत्क्षण,  केहेन सुख भासल रही ।।

सएह सुख हमरा भेटैतछि, लीखि कऽ किछु मैथिलीमे ।
मानसिक सुख बड़ भेटैतछि,  लीखि हमरा मैथिलीमे ।।

बात  जँ  मानी  हमर  तँऽ, आउ एक बेर मैथिलीमे ।
मान - पैसा - मोह सभटा,  बिसरि जाएब मैथिलीमे ।।




01 FEB. 2015  कऽ प्रकाशनार्थ विदेह - पाक्षिक मैथिली ई पत्रिका केर सम्पादकीय कार्यालयकेँ प्रेषित ।


No comments:

Post a Comment