माँ शारदे वन्दना - २
(गीत)
जय माँ शारदे, विद्यादायिनी,
अज्ञानस्य तिमिर
हरणम् ।
तन शुभ्र प्रकाशित, पंकज
राजित,
शोभित चारु कमल नयनम् ।।
जय माँ शारदे, विद्यादायिनी,
अज्ञानस्य तिमिर हरणम् ।।
भामिनी चतुरानन, हंसहि वाहन,
शान्त स्वभाव, वाणि मधुरम् ।
वीणा कर शोभित, सभजन पूजित,
सकल कला – कौशल कुशलम् ।।
जय माँ शारदे, विद्यादायिनी,
अज्ञानस्य तिमिर हरणम् ।।
मम् जहि निर्बुद्धि, देहि सुबुद्धि,
विद्या सम वारिधि सलिलम् ।
छल लोभ च कामम्, तम अज्ञानम्,
हरिअ सकल मम्
दोष अयम् ।।
जय माँ शारदे, विद्यादायिनी,
अज्ञानस्य तिमिर हरणम् ।।
लेखकः- डॉ॰ शशिधर कुमर “विदेह”
“विदेह” मैथिली पाक्षिक इ –
पत्रिका, अंक ९९, वर्ष ५, मास ५० मे, १
फरवरी २०१२ कऽ, स्तम्भ “बालानां कृते” मे प्रकाशनार्थ प्रेषित ।
No comments:
Post a Comment