हे प्रिय ! अहँक सुन्नर मुखड़ा
(गीत)
(गीत)
हे प्रिय ! अहँक सुन्नर मुखड़ा,
गहुमक रोटी सन गोल गोल ।
ने रक्त अधिक, ने श्याम प्रबल,
गहुमहि सन सुन्नर गोड़ गोड़ ।।
अछि मोन लोभाइत देखि – देखि,
दू टा फाँरा आमक अचार ।
संगहि राखल सुन्नर - सुन्नर,
मिरचाइक फर दू गोट लाल ।।
की काज अहाँ केँ एहि रोटीक,
दऽ दियऽ सखी हम भूखल छी ।
आपस कए जुनि सिर पाप धरू,
हम छी अतीथि हम भूखल छी ।।
“विदेह” पाक्षिक मैथिली इ – पत्रिका, वर्ष – ४ , मास – ४५ , अंक – ९०, दिनांक - १५ सितंबर २०११ मे प्रकाशित ।
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