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Thursday, 1 December 2011

पद्य - २९ - मातृ – भू वन्दना

मातृ – भू वन्दना
 (बालगीत) 



सिता मधुरम्, मधुरपि मधुरम्,
मधुरादपि   मधु  माएक  भाषा ।
संस्कृत  प्रिय,   हिन्दी  प्रियतर,
दुहु सँ  बढ़ि कऽ  मिथिलाभाषा ।।

धरती   सुन्नर,   भारत  सुन्नर,
पर   सुन्नरतम   मिथिलाबासा ।
जिनगी  हो समर्पित  एकरहि लए,
अछि मात्र  इएह  टा अभिलाषा ।।

मिट  जाय भलहि, नञि हिय हारी,
सम  विषम, माए अहीं केर आशा ।
रहए ध्यान सतत्  अहँ चरणहि मे,
हो  हरेक  जन्म   मिथिलाबासा ।।



 सिता = चिन्नी वा मिश्री
२ मधुर मधूर = मिठाई
३ मधुर = मीठ

 
विदेहपाक्षिक मैथिली इ पत्रिका, वर्ष , मास ४८, अंक ९५, ‍दिनांक - दिसम्बर २०११, “बालानां कृतेमे प्रकाशित ।



2 comments:

  1. वाह !!! बहुत नीक गीत...
    गीतक एक-एक शब्द सुन्दर अछि..

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद विकाश भाइ ।

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