मातृ – भू वन्दना
सिता१ मधुरम्३, मधुरपि२ मधुरम्३,
मधुरादपि मधु माएक भाषा ।
संस्कृत प्रिय, हिन्दी प्रियतर,
दुहु सँ बढ़ि कऽ मिथिलाभाषा ।।
धरती सुन्नर, भारत सुन्नर,
पर सुन्नरतम मिथिलाबासा ।
जिनगी हो समर्पित एकरहि लए,
अछि मात्र इएह टा अभिलाषा ।।
मिट जाय भलहि, नञि हिय हारी,
सम विषम, माए अहीं केर आशा ।
रहए ध्यान सतत् अहँ चरणहि मे,
हो हरेक जन्म मिथिलाबासा ।।
१ सिता = चिन्नी वा मिश्री
२ मधुर / मधूर = मिठाई
३ मधुर = मीठ
“विदेह” पाक्षिक मैथिली इ – पत्रिका, वर्ष – ४, मास – ४८, अंक – ९५, दिनांक - १ दिसम्बर २०११, “बालानां कृते” मे प्रकाशित ।
वाह !!! बहुत नीक गीत...
ReplyDeleteगीतक एक-एक शब्द सुन्दर अछि..
बहुत बहुत धन्यवाद विकाश भाइ ।
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