गेंड़ा (बाल कविता)
केहेन अजगुत जीव ! − पहिरने “सूट
- सफारी” ।
लागय सेना केर
वर्दीमे भागल वर्दीधारी ।।*१
नाकक ऊपर सिंघ एगो
या दूगो*२ छै जनमल ।*३
सिंघक*४ वार - प्रहार जेना तरुआरिक सनकल ।।*५
बास ओकर, घास संगहि क्षेत्र
दलदली ।*६
देखितहिं देरी सिंहहुमे मचि जाइछ खलबली ।।*५
घासहि खा कऽ जिबैत अछि ई जीव शाकाहारी ।
निर्मम वध कऽ रहल एकर सिंघ केर व्योपारी ।।*७
भारत केर उत्तर आ पूब दिशि एकरहि राज छै ।
काजीरंगा - जलदापाड़ा - दुधवामे सोराज छै ।।*८
नेपालक परसा - चितबन - बर्दिया भूटानमे ।
भारतीय गेंड़ा बाँचल छै, एहने किछु सुठाममे ।।*८
कहियो सौंसे बास छलै - सिन्धुसँ दिहांग धरि ।*९
आब तँऽ बूझू बाँचल छै बङ्ग ओ असाम धरि ।।
एकसिंघी भारत -
नेपाल - भूटान आ जावा ।
दूसिंघी - गेंड़ा भेटैतछि
अफ्रिका - सुमात्रा ।।*१०
संकेत
आ किछु रोचक तथ्य -
*१ - गेंड़ाक शरीर पर चमरीक मोट सुरक्षात्मक स्तर होइत
अछि जकर मोटाई डेढ़सँ पाँच सेन्टीमीटर धरि भऽ सकैत अछि ।
*२ - “एगो” आ “दूगो” क्रमशः “एक गोट” आ “दू गोट” केर संक्षिप्त रूप थिक । ठीक तहिना
जेना कि अंग्रेजीक RHINO शब्द RHINOCEROS केर संक्षिप्त रूप ।
*३ - गेंड़ाक नाकक ऊपर एक या दू टा सिंघ होइत अछि ।
*४ - श्रृंग
(तत्सम) > सिंग (अर्ध तत्सम) > सिंघ (तद्भव), संगहि एकसिंगही = एकसिंघी = एक सिंग/सिंघ बला । सिंघ शब्द सिंह केर तद्भव
स्वरूपमे सेहो प्रयुक्त होइत अछि । एहि तरहेँ सिंघ
शब्द मैथिलीमे तद्भव शब्द भेल आ
अनेकार्थक शब्द सेहो कारण एकर
दू टा भिन्न अर्थ होइत अछि - पहिल श्रृंग (HORN) आ दोसर सिंह (LION) ।
*५ - सिंघ केर उपयोग गेंड़ा अपन सुरक्षा लेल करैत अछि ।
सिंघ जखन पैघ भऽ जाइत अछि तँऽ ओ एतेक मजगूत भऽ जाइत अछि कि ओकर प्रहारसँ गेँड़ा
कोनहु मजगूत गाछकेँ सेहो तोड़ि सकैत अछि । एहि सिंघक प्रहारसँ बाघ - सिंह सेहो डऽर
मानैत अछि ।
*६ - गेंड़ा शाकाहारी प्राणी अछि । दलदली क्षेत्र − जकर
आस-पास घासक प्रचूरता हो − से गेंड़ाक प्राकृतिक आवास क्षेत्र होइत अछि ।
*७ - गेंड़ाक सिंघ केर तश्करी होइत अछि आ ताहि कारणेँ
ओकर निर्मम अवैध हत्या कएल जाइत अछि ।
*८ - भारतीय गेंड़ा पहिने सम्पुर्ण उतरबारी भारतक जंगलमे
पाओल जाइत छल पर आब सिर्फ किछु सुरक्षित अभ्यारण्य या निकुञ्जमे बाँचल अछि ।
*९ - “दिहांग” नदी - अरुणाचल प्रदेशमे “ब्रह्मपुत्र” नदी केर नाँओ ।
*१० - भारत, नेपाल, भुटान, म्यांमार आ जावामे प्राकृतिक
रूपसँ पाओल जाए बला गेंड़ाक नाकक ऊपर मात्र एक टा सिंघ होइत अछि जखनि कि अफ्रिका
महादेश आ सुमात्रामे पाओल जाए बला गेंड़ाक नाकक ऊपर दू टा सिंघ होइत अछि ।
दू
आखर हुनिका लेल जनिका “सिंग” केर एवजमे “सिंघ” नञि रुचैत हो -
(एहि अंशकेँ प्रकाशित करबाक वा नञि करबाक पुर्ण अधिकार सम्पादक महोदयकेँ छन्हि
। चाहथि तँऽ ओ एहि अंशकेँ बालानां कृतेसँ अलग आन ठाम कतहु स्थान दऽ सकैत छथि ।)
Ø
“सिंग” सही कि “सिंघ” ? - एहि तरहक
प्रश्न करब अनुचित ।
Ø
भाषाशास्त्री लोकनिक एहि तरहक प्रश्न गलत ओ अपुर्ण अछि ।
Ø
प्रश्न होयबाक चाही कि “सिंग” आ “सिंघ” जँ दुहु मैथिलीक
शब्द थिक तँ ओहिमे भाषाशास्त्रीय दृष्टिकोणसँ की अन्तर ?
Ø
अथवा, प्रश्न होयबाक चाही कि ओ दुहु शब्द भाषाशास्त्रक कोन आधार पर मैथिलीक
शब्द भेल ? (एहि प्रश्नक उतारा हम ऊपरमे देबाक प्रयास कएल अछि) ।
Ø
हम आओर अहाँ अपना मान्यताक आधार पर के होइत छी सही-गलत केर प्रमाण पत्र
देनिहार/रि ?
Ø
मैथिलीक जँ वास्तवमे हित चाहैत छी तँऽ मैथिलीक भाषाशास्त्री ओ व्याकरणाचार्य
लोकनिकेँ आन भाषाक भाषाशास्त्री ओ व्याकरणाचार्य लोकनि जेकाँ समावेशी होअए
पड़तन्हि आ “एकहरबा वा एकढ़बा” बनबाक प्रवृत्तिक त्याग करए पड़तन्हि ।
ठीक तहिना जेना अंग्रेजी मे COLOUR सेहो सही अछि आ COLOR सेहो सही । LEUCOCYTE सेहो सही अछि LUCOCYTE सेहो सही आ LUKOCYTE सेहो सही ।
Ø
आनहु भाषा यथा हिन्दी, भोजपुरी, मगही, मराठी, बाङ्ग्ला आदिमे ई समावेशी नीति
अपनाओल जा रहल अछि । यथा हिन्दीक एकटा उदाहरण नीचाँक दुहु चित्रमे देखू -
Ø
केओ कहैत छथि हम मात्र संस्कृतनिष्ठ शब्दकेँ मैथिली मानैत छी । केओ कहैत छथि
हम मात्र “स” कें मैथिली बुझैत छी “श” आ “ष” केँ नञि । यौ (अओ,औ) ! अहाँक अहाँक
मानब ओ बूझब अहाँक अप्पन मोनक बात छी, ओ सभ पर नञि थोपल जा सकैत अछि । जँ सएह
करबाक छल तँऽ कथी लेल “मैथिली वर्णमाला”केँ मैथिली व्याकरणमे स्थान देल आ ताहि
वर्णमालामे “श” ओ “ष” किएक विराजित अछि
? आओर किएक पढ़बैत छिऐ जे उद्गमक आधार पर शब्द मुख्यतः चारि प्रकारक होइत अछि -
तत्सम, तद्भव, देशज ओ विदेशज ?
Ø
कोनहु जिबैत भाषा सतत प्रवाहमान नदी जेकाँ होइत अछि । ओएह नदी जिबैत अछि जे
सतत प्रवाहमान होइत अछि आ अपना दुहु किनारीक माटिकेँ काटि अपनामे भँसिआए (भँसिआऽ),
अपना धारक संग बहाए (बहाऽ) आगाँ बढ़बाक सामर्थ्य रखैत अछि । जाहि नदीमे से
सामर्थ्य नञि ओ क्रमिक रूपेँ सुखाए (सुखाऽ) जाइत अछि आ अन्ततः मृत भए (भऽ) जाइत
अछि ।
Ø
कोनहु जिबैत भाषाक व्याकरण सतत समावेशी होइत अछि आ कालक्रमेण धीरे-धीरे ओहिमे
किछु-किछु सकारात्मक परिवर्तन होइत रहैत अछि । शेक्सपियरकालसँ एखन धरिक अंग्रेजी
व्याकरणक अध्ययन अपने कऽ सकैत छी ।
मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 199म अंक (15 अप्रील 2016) (वर्ष 9, मास 100, अंक 199) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।