Saturday, 22 November 2014
Friday, 21 November 2014
पद्य - ९७ - मंगलमय हो नव वर्ष (कविता)
मंगलमय
हो नव वर्ष
मोन पड़ैतछि, आइ नगद आ काल्हि
उधारी ।
हमरा सभकेँ,
लागल किछु एहने बेमारी
।।
हरेक साल – मंगलमय हो नव वर्ष – उचारी ।
विगत् वर्षकेँ, अपना – अपनी,
खूब लतारी ।।
पिछला साल, सेहो स्वागत
छल, एहि नववर्षक ।
आइ पुनः, स्वागत करैत छी, अगिला वर्षक ।।
गओले गीत ओ, पुनि गबैत छी,
अछि लाचारी ।
हरेक साल – मंगलमय हो नव वर्ष – उचारी ।।
विगत् वर्ष, जे छल आगत,
से नञि तत् नीके ।
नव आगत, करी पुनि स्वागत,
होयत सब ठीके।।
जे ने कटल, से कटि
जायत, सब संकट भारी ।
हरेक साल – मंगलमय हो नव वर्ष – उचारी ।।
आबि रहल अछि, एक जनबरी,
नऽव साल छी ।
पुनि होली, नव वर्षक
स्वागत, तेँ बेहाल छी ।।
कहिया–कहिया, कतेक–कतेक, नव वर्ष मनाबी ।
हरेक साल – मंगलमय हो नव वर्ष – उचारी ।।
विगत् वर्ष, कंगाल –
दिगम्बर, बुझले अछि से ।
नवल वर्ष, होयत विश्वम्भर, होइछ भरम से ।।
कर्म करू, तजि सभ आडम्बर, औना - पथारी ।
हरेक साल – मंगलमय हो नव वर्ष – उचारी ।।
28 DEC. 2014 कऽ प्रकाशनार्थ “मिथिला दर्पण” केर सम्पादकीय कार्यालयकेँ प्रेषित ।
मैथिली पाक्षिक
इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 193म अंक (01 जनबरी 2016) (वर्ष 9, मास 97, अंक 193) मे प्रकाशित ।
पद्य - ९६ - ओजोन (कविता)
ओजोन
३ टा ऑक्सीजन परमाणुसँ बनल ओजोनक अणु (प्रदर्श) |
ओजोन – ओजोन बड्ड सुनै छी,
की थिक कने बताउ ।
सुनलहुँ बहुते किछु नञि बुझलहुँ,
हमरो किछु समझाउ ।।
एक तत्त्व थिक गैस रूपमे,
नाँव जकर ऑक्सीजन ।
दू परमाणुक युतिक अणु जे,
से परिचित ऑक्सीजन ।
गाछ-बिरिछ सभ जन्तु मनुक्खो,
इएह साँसमे लैत’छि ।
गाछ बिरिछ पुनि आन क्रियामे,
ऑक्सीजन छोड़ैत’छि
।
ऑक्सीजन केर त्रिपरमाणुक,
युतिसँ बनल ओजोन ।
साँस लेबा केर ऑक्सीजनसँ,
बिल्कुल अलग ओजोन ।
जँ एतबा धरि समझि गेलहुँ,
तँऽ आगू बात बढ़ाउ ।
नञि बुझलहुँ - तँऽ सेहो बाजू,
की दिक्कत कतऽ बताउ ।।
पृथिवीक वायुमण्डलक ४ पड़त वा स्तर (क्षोभ-, मध्य-, समताप- व तापमण्डल) तथा बाहरी अन्तरिक्ष वा बाह्यमण्डल (रेखाचित्र) |
पृथिवीक वायुमण्डलक ४ पड़त वा स्तर (क्षोभ-, मध्य-, समताप- व तापमण्डल) तथा समतापमण्डलक उपड़ी सीमा पर स्थित "ओजोन पड़त वा ओजोन स्तर) (रेखाचित्र) |
तापक्रमक घट-बढ़ अनुसारेँ,
चारि पड़त वायुमण्डल केर ।
आन विशिष्ट गुणक आधारेँ,
उपविभाग
पुनि हर मण्डल केर ।
पहिल क्षोभ, समताप फेर,
आ मध्य-ताप
तेसर-चारिम ।
समतापक उपरी सीमा पर,
घटना एक घटय बंकिम
।
सूर्यकिरण केर एक घटक जे,
पराबैगनी किरण
कहाबय ।
तकरा अवशोषित कऽ एहि ठाँ,
ऑक्सीजन ओजोन बनाबय ।
ओजोनक ई जन्म - प्रक्रिया,
सुनि कऽ ने
अनठाउ ।
ई घटना नञि थिक मामूली,
मुँहकेँ जुनि बिचकाउ ।।
ऑक्सीजन आ ओजोनक अणु - परमाणुक निर्माण ओ विखण्डनक अनवरत परञ्च सन्तुलित प्रक्रिया |
ई ओजोन रहय ओहि ठाँ,
ने ऊपर –
नीचाँ जाय ।
पातड़ सन स्तर बनबय, से
ओजोन पड़त कहाय
।
छत्ता सन धरती पर तानल,
ओ जीवन रक्षक बनइछ ।
दुष्ट पराबैगनी किरण केर,
ई सद्यः भक्षक बनइछ ।
टूटय – बनय – पुनः टूटय,
ओजोनक अणु निरन्तर ।
सन्तुलित निर्माण – ध्वंश,
तेँ बुझि ने पड़इछ अन्तर ।
पराबैगनी अछि गुनधुनमे,
भीतर कोना
कऽ जाउ ।
ओजोनक अभेद्य दुर्गमे,
कोना कऽ सेन्ह लगाउ ।।
एतबामे मानव विकाश केर,
शंखनाद सौंसे
भेलै ।
औद्योगिक विकाशक परचम,
ओजोनहु पर फहरेलै
।
सी॰एफ॰सी॰ छल सेनापति,
ओ ओजोनक संहार केलक।
भूर बना ओजोन पड़तमे,
दुष्ट किरणकेँ बाट देलक ।
पराबैगनी जा धरती पर,
डी॰एन॰ए॰ पर घात करय ।
डी॰एन॰ए॰ गुणसूत्र जीवनक,
तकरे संग उत्पात
करय ।
कर्करोग त्वक् सँ सम्बन्धित,
बाढ़त से
बुझि जाउ ।
जल-थल-नभ-ऋतुचक्र एखनुका,
बदलत एकदम बाउ ।।
अण्टार्कटिका महादेशक (महाद्वीपक) ऊपर बनल ओजोन - भूर |
जँ भविष्यमे नञि चाही,
एहेन सन किछु बदलाव ।
बन्न करू हर एक घटक,जनि
सी॰एफ॰सी॰ सन
भाव ।
प्रशीतक ए॰सी॰ आ फ्रीज केर,
तत्क्षण बदलल जाए ।
प्रणोदक-रॉकेट ईन्धन केर,
हो उपयुक्त
उपाय ।
एखनहु चेतब तँऽ बर्षो धरि,
क्षतिपुर्तिमे लागत ।
जँ विलम्ब कनिञो होएत तँऽ,
हमसभ होएब अभागल ।
विकसित राष्ट्र सक्षम अधिभारक,
तेँ अधिभार उठाउ ।
अन्य राष्ट्र बिनु मुँह बिचकओने,
निज दायित्व निभाउ ।।
'विदेह' १६७ म अंक ०१ नवम्बर २०१४ (वर्ष ७ मास ८३ अंक १६५) मे प्रकाशित ।
पद्य - ९५ - प्रदूषण (कविता)
प्रदूषण
ध्वनि - प्रदूषण केर एकटा उदाहरण |
वायु - प्रदूषणक एकटा उदाहरण |
प्रकर्षेण दूषित सभ किछु थिक, अनारोग्य केर जननी ।
ई दैवक नञि छी प्रकोप, छी मनुक्खक अपनहि करनी ।।
कोनहु बस्तु जञो गन्दा भऽ गेल, दूषित ओ कहबैत’छि ।
प्रकर्षेण मतलब अतिशय अछि, सीमा – हद जनबैत’छि ।।
सीमासँ बेसी अबाज जञो, कहबै ध्वनिक प्रदूषण ।
ऊँच सुनब, अनुनाद – नाद, बाधिर्य एकर अछि लक्षण ।।
दुषित हवा जञो साँस लेल तँऽ, साँसक होएत बेमारी ।
दमा – एलर्जी आओर पता नञि, की – की महामारी ।।
दुषित पानि पिउबा सँ जे सब, होइत’छि से बुझले अछि ।
पेट खड़ाब आ हैजा पेचिश,
सभटा देखले–सुनले अछि ।।
मृदा – भूमि सेहो दूषित भऽ, बहुते करैछ समस्या ।
कऽलक पानि आ खेतक उपजा, माहुर सनक अभक्ष्या ।।
रेडियोधर्मी अछि पदार्थ जञो, विकिरण करय प्रदूषण ।
धरा – पानि तँऽ दूषित अछिए, सीधे मारक लक्षण ।।
एखनहुँ जँ संसार ने चेतत, बदलत नञि निज करनी ।
हाथ ने किछु बाँचत भविष्यमे, अपन दशा पर कननी ।।
'विदेह' १६७ म अंक ०१ नवम्बर २०१४ (वर्ष ७ मास ८३ अंक १६५) मे प्रकाशित ।
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