लव यू दुल्हिन (फिल्मक समीक्षा हमरा नजरिसँ)
“लव यू दुल्हिन” — लोकसभ कहि रहल छथि जे मल्टीप्लेक्स धरि पहुँचएबला ई पहिल मैथिली सिनेमा अछि । हम कहब जे मल्टीप्लेक्स धरि पहुँचि कऽ तीनि दिन दूटा हॉलमे हाउसफुल चलएबला ई पहिल मैथिली सिनेमा अछि । एहिसँ पहिने “ललका पाग” पटनाक पी. एन. मॉलकेर मल्टीप्लेक्समे लागि चुकल छल मुदा चलि नञि सकल ।
फिल्मक पटकथा मध्यवर्गीय ग्रामिण मैथिल परिवारक अछि । नायक कोसी कातक छथि तऽ नायिका कमला-जीवछक बीचक । समएकेर नप्पा अर्थात टाइम स्केल पर पटकथाक गति सुस्त नञि अपितु कनेक तेज अछि । पिपनी मिलमिलबितहि सालक साल बीति जाइत अछि जे कि कथाक स्वभाविक प्रवाहक अनुरुपहि अछि । वास्तवमे कोनहु साहित्य वा सिनेमा दू टा विपरीत ध्रुव या धूरीक बीच तर-तम भावसँ विचरैत रहैत अछि । ओहि दूनू ध्रुव या धूरीक नाँओ अछि — “यथार्थ” ओ “कल्पना” । जे सिनेमा “यथार्थ” नामक धूरीक जतेक लगीच होएत से ओहि सिनेमाक पटकथामे वर्णित समाजक ओतबहि सूक्ष्म ओ स्टीक वर्णन करत । एहेन सिनेमाकेँ पटकथामे वर्णित समाजक ऐना या दर्पण कहल जाइत अछि । मुदा दुर्भाग्यसँ एहेन सिनेमा बॉक्स ऑफिसक बेसी सीढ़ी नञि चढ़ि पाबैत अछि आ निर्माणकर्ताकेँ विमुख कऽ दैत अछि । जँ कोनहु निर्माणकर्ता एहेन फिल्म बनबितहु छथि तऽ ओहि सिनेमाकेँ वितरक नञि भेटैत अछि आ फिल्म सिनेमा हॉलक मुंह नञि देखि पाबैत अछि । दोसर धूरी अर्थात ”कल्पना”, कोनहु सिनेमाकेँ ओकर पटकथामे वर्णित समाजक यथार्थसँ दूर कऽ दैत छैक । एहेन सिनेमा प्रायः लहक-चहक ओ मनोरञ्जनसँ परिपूर्ण रहैत छैक । प्रायः नीक धनोपार्जन करैत अछि मुदा किछु दर्शकक शिकायत रहैत छन्हि जे एहि तरहक सिनेमा समाजकेँ गलत चित्रित करैत अछि, से प्रायः उचितहि, मुदा हमरा अनुसारेँ एक सीमा धरि मात्र । प्रायः एकटा नीक ओ सफल सिनेमा वा साहित्य एहि दूनू ध्रुवक बीचमे रहैत अछि — दूनू ध्रुवक गुण-अवगुणकेँ उचित अनुपातमे समाहित कएने । “लव यू दुल्हिन” सेहो एकटा एहनहि फिल्म अछि, दूनू ध्रुवक बीचक फिल्म । एहि फिल्म केर गीतसभमे लहक-चहक केर बेस पुट छैक आ तेँ किछु दर्शकक आरोप छन्हि जे ई मैथिली फिल्मक भोजपूरीकरण थिक, ई चलचित्र मैथिल समाजकेँ चित्रित नञि करैत अछि । मुदा हमरा अनुसारेँ ई आरोप उचित नञि । ई फिल्म पूर्ण रूपसँ मैथिल समाजहिकेँ प्रदर्शित करैत अछि । फिल्मक पटकथा पूर्णतया मैथिल समाजक थीक । जाहि गीतसभक फ़िल्मांकनमे अर्धनग्नताक भाव अछि, से सभ गीत कल्पना वा सपनामे गाओल गेल अछि, जे स्पष्ट कहैत अछि कि मैथिल समाजमे एहि तरहक पहिरन-ओढ़न आम नञि अछि । तथापि एकटा गीतमे साया-आँगीमे (पेटीकोट-ब्लाउजमे) नाच दर्शकक आरोपक आंशिक पुष्टि अवश्य करैत अछि आओर परिवारक संग फिल्म देखबामे व्यवधानकारक भऽ सकैछ ।
हिन्दी फ़िल्म "दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे"केर पहिल गीतमे अभिनेत्री "काजोल" |
मैथिली फिल्म "लव यू दुल्हिन"मे अभिनेता "अमिय कश्यप" आ अभिनेत्री "पूजा पाठक" |
मैथिली फिल्म "लव यू दुल्हिन"मे अभिनेता "आलोक कुमार" आ अभिनेत्री "इनु श्री" |
मै सिनेमा “लव यू दुल्हिन” स्त्रीगणक मनोभावक चित्रण करबामे बहुत नीक रुपेँ सफल भेल अछि आ अपन नामक लाज रखलक अछि । कुमारि मैथिल बालाक सहज, चंचल, कोमल मनोभाव ओ विवाहित स्त्रीक धीर-गम्भीर, व्यवस्थित, उत्तरदायी मनोवृत्ति — दूनूक प्रदर्शन बहुत नीक जेकाँ भेल अछि । नायिका, नायक ओ हुनिक परिवारक सदस्यलोकनि पारम्परिक मैथिल अवश्य छथि संगहि उचित आधुनिक विकासवादी विचारधाराक समावेशी सेहो । एहि चलचित्रक सम्बन्धमे किछु एहने सनि विचार श्रीमति शेफालिका वर्माजीक सेहो सोझाँ आएल अछि । ई फिल्म निश्चित रूपसँ एकटा नायिका प्रधान फिल्म अछि ।
मैथिली फिल्म "लव यू दुल्हिन"मे नायक "विकास झा" ओ नायिका "प्रतिभा पांडे" |
मैथिल समाजसँ जुड़ल करीब आधा दर्जन समस्याकेँ एहि फिल्ममे उठाओल गेल अछि आ तकर सम्भावित निराकरण सेहो देखाओल गेल अछि । मिथिलाक भूगोल आ बाढ़ि, अन्योन्याश्रय सम्बन्ध आ ताहूमे कोसी माए । सन् 2008 ई.मे कोसीक कुसहा बान्ह टुटबाक सामाजिक ओ राजनैतिक सम्बन्ध फिल्ममे देखाओल गेल अछि आ एकर दुखदायी पक्ष फिल्मक पटकथामे यू-टर्न आनैत अछि । फिल्ममे बाढ़िक समएमे सरकारी यन्त्रक असंवेदनशीलता, शराबबंदी, खुलामे शौच रखबा लेल शिक्षक लोकनिक नियुक्त्ति आदि पर सेहो कटाक्ष देखबा लेल भेटैछ । फ़िल्ममे बहुतहि उतार-चढ़ाव अछि तथापि फिल्म सुखान्त अछि ।
मैथिली फिल्म "लव यू दुल्हिन"में नायकक भूमिकामे "विकास झा" आओर खलनायकक भूमिकामे "अमिय कश्यप" तथा आन सहयोगी कलाकार लोकनि |
एहि सिनेमामे राम ओ रावण अर्थात नायक ओ खलनायक दूनू पितियौत भाए रहैत छथि । दूनू गोटेक संवाद मैथिलीअहिमे अछि मुदा बजबाक टोन/बोली (PHOENETIC TONES / DIALECTS) भिन्न-भिन्न अछि । किछु लोककेँ ई उचित नञि लगलन्हि, तऽ से स्वभाविकहि । मुदा हमरा से अभाँत नञि लागल । हम मानि लेल जे दूनू पितियौतमेसँ एक नेनपनमे बेसी काल अपन मातृकहिमे रहलाह जाहि ठामक मैथिली बजबाक टोन हुनक पैतृकक मैथिलीक टोनसँ अलग छल । एहि तथ्यकेँ पटकथा लेखक ओ निर्देशक शायद समयाभावक कारण नञि देखाए सकलाह । एहि फिल्ममे मैथिली भाषाक तीनि-चारिटा टोन वा बोलीक प्रयोग भेल अछि से हमरा बहुत नीक लागल । कोनहु भाषाक साहित्य ओ सिनेमामे ओहि भाषाक विभिन्न टोन या बोलीक प्रयोग ओहि भाषाक व्यापकता ओ समृद्धिक द्योतक होइत अछि ।
एकटा अन्त्याक्षरी गीत ओ एकटा मुजराकेँ छोड़ि एहि फिल्मक शेष सभटा गीत विशुद्ध मैथिलीमे अछि आ बहुत सुन्दर कर्णप्रिय संगीतक संग । मुजराबाली बाहरसँ बजाओल गेलि तेँ हिन्दीमे गाओलि । अन्त्याक्षरी गीत नवतूरसभ हिन्दी फ़िल्मी गीतसभक पैरोडी मैथिलीमे गाबैत अछि जकर पुर्णाहुति करैत अन्ततः मैथिली गीत “शुभे हे शुभे” गाओल जाइत अछि । बिआहसँ पहिने कनिञाकेँ हरदि लगएबाक बिध केन्द्रिय मिथिलाक मैथिल ब्राह्मणमे नञि अछि मुदा शेष मिथिलामे अछि ओ मिथिलाक आन जातिसभमे सम्पुर्ण मिथिलामे अछि, तेँ एहि आधारेँ ई बिध फिल्ममे देखाएब उचित लागल । एहि ठाम एकटा गप्प आओरहु कहि दी जे फिल्ममे नायकक गाम “तरौनी” यात्रीजीक “तरौनी” नञि अछि, कारण जे यात्रीजीक तरौनीकेँ कुसहाक बान्हि ओ कोसीक बाढ़िसँ कोनहु सम्बन्ध नञि ।
मैथिली फिल्म "लव यू दुल्हिन"मे अभिनेता "शुभ नारायण झा" ओ "अमित कश्यप" |
मैथिली फिल्म "लव यू दुल्हिन"मे चरित्र अभिनेता ओ अभिनेत्री "विजय मिश्र" तथा "मुकुल लाल" |
ई फिल्म — अभिनय ओ तकनीकक प्रयोग — दूनूमे बहुत बढ़िञा अछि । नायक, खलनायक, नायिका, सहनायिका, चरित्र अभिनेता/अभिनेत्री तथा आन सहकलकार आदि सभगोटे अपन-अपन उत्कृष्ट अभिनय क्षमताक प्रदर्शन कएलन्हि अछि । फ़िल्मांकन/छायांकन, ध्वनि मुद्रण, प्रकाश समायोजन आदि सभ बहुत नीक अछि, कतहु ध्वनि वा चित्रक अस्पष्टता नञि बुझना जाएत । निश्चित रूपेँ एहि फिल्म टीमक सभ सदस्य बेस मेहनति ओ लगनसँ काज कएलन्हि अछि । एहि फिल्ममे लीखित रूपमे जे किछु वैधानिक चेताओनी देखाओल गेल अछि से विशुद्ध मैथिली भाषामे अछि, नञि कि अंग्रेजी वा हिन्दीमे ।
दिल्लीक विकाशपुरी आ रोहिणी केर PVR MULTIPLEX मे फिल्मकेर प्रदर्शन वास्तवमे एकटा PILOT PROJECT/EXPERIMENT छल जे आन ठाम एहि फिल्मकेर प्रदर्शनक लेल बंसीक तरेगाक काज करैत । चुँकि PILOT PROJECT सँ शुभ संकेत भेटल अछि, तेँ उम्मीद अछि जे ई फिल्म भारवर्षक मैथिलबहुल क्षेत्रमे व्यापक स्तरपर लागत ओ आगामी आन मैथिली फिल्म सभक लेल सफलताक बाट प्रशस्त करत । शुभस्तु ।
समीक्षित फिल्म — लव यू दुल्हिन (LOVE U DULHIN)
भाषा — मैथिली (MAITHILI)
केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड श्रेणी — अ/व (U/A)
बैनर — श्री रामजानकी फ़िल्म्स
निर्माता — विष्णु पाठक आओर रजनीकांत पाठक
निर्देशक — मनोज श्रीपति
अभिनेता ओ अभिनेत्री — विकास झा, अमिय कश्यप, आलोक कुमार, प्रतिभा पांडे, पूजा पाठक, इनु श्री, विजय मिश्र, मुकुल लाल, शुभनारायण झा तथा अन्य ।
गीतकार — सुधीर कुमार, विक्की झा, प्रकाश चन्द्र खां (मनोज)
संगीतकार — धनंजय मिश्र
गायक आऽ गायिका — कल्पना, इंदु सोनाली, विकास झा, आलोक कुमार, प्रियंका सिंह, देवानन्द झा
समीक्षक — डॉ. शशिधर कुमर।
व्यापक आ बहुआयामी समीक्षा 👍
ReplyDeleteधन्यवाद प्रणवजी ।
Deleteबहुत किछु आओर लीखबाक छल; अभिनय-गायन-निर्देशन-पटकथा-नृत्य-फाइट स्टंट आदिक विषयमे, दर्शक जोड़बाक लेल विष्णु पाठक जीक सतत प्रयासक विषयमे । मुदा निरन्तर यात्रामे छी आ लैपटॉपपर नञि अपितु मोबाइलसँ टाइप क रहल छी, तेँ नञि लीखि सकलहुँ ।
तरौनी सुपौल जिला केर एकटा गाम अछि, कोसी कात मे
ReplyDeleteजनतब देबाक लेल धन्यवाद । नञि बुझल छल हमरा ।
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