पटना
पुस्तक मेला (बाल
कविता)
पटनाक पहिल पुस्तक मेलासँ किनल किछु सोवियत पोथीसभ - रादुगा, मीर ओ प्रगति प्रकाशनक पोथीसभ |
आइ गेल छलहुँ पुस्तक मेला,
पटनाक गान्धी मैदानमे ।
नञि विशेष किछु
छल तइयो,
नव पोथीक अनुसन्धानमे
।।
याद आबैछ एखनहु ओहिना,
पटनाक पहिल पुस्तक मेला ।
पोथी सभहक अम्बार बेस,
आ लोक सभक रेला
- ठेला ।।
मीर, रादुगा,
प्रगति प्रकाशन,
सोवियतक पुस्तक
आगार ।
ऑक्सफोर्ड,
प्रैण्टिस आ कैम्ब्रिज,
एन॰बी॰टी॰,
सी॰एस॰आइ॰आर॰ ।।
हरेक विषय
पर छल
पुस्तक,
भाषा, इतिहास,
भूगोल रहए ।
अभियंत्रन,
वाणिज्य, चिकित्सा,
ज्योतिष, धर्म,
खगोल रहए ।।
बहुबिध देसी
आओर बिदेसी,
पुस्तक केर स्टॉल रहए ।
मैथिलीक सेहो एक - दू टा,
नीक छोट स्टॉल
रहए ।।
सोचल आगाँ धीरे - धीरे,
मैथिलीक स्टॉल
बढ़त ।
ई तँऽ पहिलुक बेर
थिकै,
आगाँ बढ़िञा
माहौल रहत ।।
एहनहु बरख रहल
जहिया,
छल नामहि केर पुस्तक मेला ।
पाटलीपुत्र मैदान
फिरल,
भेल दूसल्ला पुस्तक मेला ।।
कतोक प्रकाशन बन्न भेल,
अन्तर्जालक ई युग आएल ।
थिक उदासीन सरकार सेहो,
राज्यक भाषा सभ
बौआएल ।।
युवा ई मेला - चौबीस बरखक,
वृद्ध सनक लागैत अछि ।
पुस्तक मेलाक शिशु अवस्था,
याद बहुत आबैत
अछि ।।
2017 ई॰क पटना पुस्तक मेलामे मैथिली द्वार तँऽ छल मुदा मैथिली पोथीक स्टॉल नञि । शायद एही द्वार बाटे मैथिली पोथीसभ भागि गेल होयत !!! |
मैथिली पाक्षिक
इण्टरनेट पत्रिका “विदेह” केर 224म अंक (15 अप्रील 2017) (वर्ष 10, मास 112, अंक 224) केर “बालानां कृते” स्तम्भमे प्रकाशित ।
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