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Friday, 21 November 2014

पद्य - ‍९७ - मंगलमय हो नव वर्ष (कविता)

मंगलमय हो  नव वर्ष



मोन पड़ैतछि, आइ नगद  आ  काल्हि उधारी ।
हमरा  सभकेँ,  लागल  किछु  एहने  बेमारी ।।
हरेक  साल – मंगलमय हो  नव वर्ष – उचारी ।
विगत्  वर्षकेँ,  अपना – अपनी,  खूब लतारी ।।

पिछला साल, सेहो स्वागत छल, एहि नववर्षक ।
आइ पुनः,  स्वागत करैत छी,  अगिला वर्षक ।।
गओले गीत ओ, पुनि गबैत छी, अछि लाचारी ।
हरेक  साल – मंगलमय हो  नव वर्ष – उचारी ।।

विगत् वर्ष, जे छल आगत, से नञि तत् नीके ।
नव आगत, करी पुनि स्वागत, होयत सब ठीके।।
जे ने कटल, से कटि जायत,  सब संकट भारी ।
हरेक  साल – मंगलमय हो  नव वर्ष – उचारी ।।

आबि रहल अछि, एक जनबरी, नऽव साल छी ।
पुनि होली, नव वर्षक स्वागत,  तेँ बेहाल छी ।।
कहिया–कहिया, कतेक–कतेक,  नव वर्ष मनाबी ।
हरेक  साल – मंगलमय हो  नव वर्ष – उचारी ।।

विगत् वर्ष, कंगाल – दिगम्बर,  बुझले अछि से ।
नवल वर्ष,  होयत विश्वम्भर,  होइछ भरम से ।।
कर्म करू,  तजि सभ आडम्बर, औना - पथारी ।
हरेक  साल – मंगलमय हो  नव वर्ष – उचारी ।।




28 DEC. 2014  कऽ प्रकाशनार्थ मिथिला दर्पण केर सम्पादकीय कार्यालयकेँ प्रेषित ।


मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍193म अंक (‍01 जनबरी 2016) (वर्ष 9, मास 97, अंक ‍193) मे प्रकाशित ।

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