नेनपन (बालगीत)
खेलै – कूदै - मौज मनाबै,
नेनपन होइ छै खेलबा
लए ।
पर पढ़ाई
सेहो आवश्यक,
नेनपन होइ छै पढ़बा
लए ।।
मीठगर – मीठगर नीक लगए,
पर जँ सदिखन मिट्ठहि भेटए ।
बढ़ए मोटापा
गेंड़ा सन, आ
सुस्त मोन हो,
जी उचटए ।
नोनगर, खटगर, तीत जरूरी,
भोजन मे रुचि
रहबा लए ।
तेँ पढ़ाई सेहो आवश्यक,
नेनपन होइ छै पढ़बा लए ।।
खेल – कूद नेनपन
केर गहना,
व्यक्तित्वक संपोषक
छी ।
खेल – कूद सिखबैछ बहुत
किछु,
तेँ ओ
अति आवश्यक छी ।
पर पढ़ाई बिनु खेल – कूद
बस,
अनुचित – जीवन जिउबा
लए ।
तेँ पढ़ाई
सेहो आवश्यक,
नेनपन होइ छै
पढ़बा लए ।।
उचित समय
पर खेली –
कूदी,
उचित समय अध्ययन - अध्यापन
।
एकक परिपूरक
दोसर छी,
सम्यक अनुपातेँ
परिपालन ।
सुख – दुख जिनगी केर दू
पहिया,
दुहु जरूरी
जिउबा लए ।
नेनपन केर आधार
गढ़नि पर,
जिनगी खल – खल हँसबा लए ।।
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