चकोरक उक्ति चानक प्रति
(कविता)
हे चान ! अहाँ धन्य छी ।
हमर मृत्यु पर प्रशन्न छी ।
अहँक हृदयहीनता सँ, हऽम अवसन्न छी ।
हे चान ! अहाँ धन्य छी ।।
जिनगी भरि रटलहुँ हम, अऽहीं केर नाम ।
मनमे अऽहींक छवि, बसल अभिराम ।
की हम कहू , अहाँ पाथर अनमन्न छी ।
हे चान ! अहाँ धन्य छी ।।
अहीं हमर इच्छा, अहीं हमर काम ।
अहीं हमर काया, अहीं हमर प्राण ।
हम तऽ अहाँक, छद्म रूप देखि सन्न छी ।
हे चान ! अहाँ धन्य छी ।।
अहीं केर वियोगेँ, हम त्यागै छी प्राण ।
अहँक ठोर निष्ठुर, छिड़ियाबै मुस्कान ।
सोचि रहल छी, अपनेँ पाथर प्रणम्य छी ।
हे चान ! अहाँ धन्य छी ।।
“विदेह” पाक्षिक मैथिली इ – पत्रिका, वर्ष – ४, मास – ४७, अंक – ९४, दिनांक - १५ नवम्बर २०११, स्तम्भ ३॰७ मे प्रकाशित ।
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