हम मैथिल ! मिथिला केर सन्तान
हम मैथिल ! मिथिला केर सन्तान ।
नञि दुनिञा केर कनिञो ध्यान ।
की होयत सोचि भविष्य विषय, हम तऽ अतीत केर करी गान ।
हम मैथिल ! मिथिला केर सन्तान ।।
नञि दुनिञा सँ, कनिञो घबड़ायब ।
नञि प्रगति देखि कऽ हम ललचायब ।
छल हमर अतीत बहुत सुन्नर,
तेँ रहत भविष्यहु नीक हमर ।
की अजगर करइत अछि चिन्ता ? अरे सबहक दाता , अपनहि राम ।
हम मैथिल ! मिथिला केर सन्तान ।।
विज्ञानक द्वारि, अशान्तिक द्वारि ।
एहि सँ नीक, बैसी चौपाड़ि ।
करी अराड़ि आ पढ़ी गारि ।
नञि ताहि सँ जीती, करी मारि ।
अछि फॉर्मूला - परिभाषा व्यर्थ ।
चान – विजय अभिलाषा व्यर्थ ।
की धरती’क चान अलोपित अछि , जे करी गगन चानक अभियान ?
हम मैथिल ! मिथिला केर सन्तान ।।
हम मानि लेल अहँ सर्वश्रेष्ठ ।
लाठी भाँजए मे छी यथेष्ठ ।
अहँ शूरवीर, अहँ परम वीर ।
अहँ कर्मवीर, अहँ धर्मवीर ।
अहँ माए मैथिलीक पुत्र धीर, जे सहि सकलहुँ माएक अपमान ।
अहँ मैथिल , मिथिला केर सन्तान ।।
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