मेघ (बाल गीत)
हम मेघ थिकहुँ, धरतीवासी ! ई जीवन
हमरहि आनल अछि ।
नञि गोर जदपि हम छी कारी,
पर स्नेह सुधा संग आनल अछि ।।
जखन – जखन एहि भूतल पर,
रविकिरणक साहस बढ़ैत गेल ।
सभ जीव जन्तु , गाछी बिरछी,
जल विन्दु-विन्दु ले तरसि
गेल ।
एहि दारुण दुःख मे संग
तोहर, हर बेर हृदय मोर कानल अछि ।
हम मेघ थिकहुँ, धरतीवासी ! ई जीवन
हमरहि आनल अछि ।।
हर आह हमर शीतल बसात,
नोरक हर बुन्न बनल अमृत ।
लहलहा उठल खेतक जजाति,
हर जीव तृप्त, धरती संसृत ।
स्वागत मे सदिखन आदिकाल सँ
मोर मुदित मन नाचल अछि ।
हम मेघ थिकहुँ, धरतीवासी ! ई जीवन
हमरहि आनल अछि ।।
हर सड़सि ताल सरिता निर्झर,
वन उपवन हमरहि सँ शोभित ।
हर जड़ि चेतन केर प्राण
हमहि,
छी रग मे हमहीं बनि शोणित ।
हमरहि निर्मित ई सकल स्वर्ग
, हमरहि वसन्त ई आनल अछि ।
हम मेघ थिकहुँ, धरतीवासी ! ई जीवन
हमरहि आनल अछि ।।
नञि दोष हमर, जँ हो अनिष्ट,
आ नाचथि ताण्डव महाकाल ।
जलमग्न धरा, बाढ़िक कारण,
आ देखि पड़य कत्तहु अकाल ।
सोचू एहि मे अछि दोष ककर ?
की नियम अहाँ सभ मानल अछि ?
हम मेघ थिकहुँ, धरतीवासी ! ई जीवन हमरहि आनल अछि ।।
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