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मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Saturday, 3 April 2021

पद्य - २४‍५ - प्लास्टिक पन्नी जुनि डाहू (बाल कविता)

 प्लास्टिक पन्नी जुनि डाहू (बाल विज्ञान कविता)

 



 

भारत सरकारक नारा अछि,

स्वच्छ ओ सुन्नर  भारत ।

तेँ कचरासब खड़रि बहारल,

आगि  लगा कऽ  जारब ।।

 

आगिक संसर्गें  पवित्र सब,

छै  से  पुरनका  कहबी ।  

कचरा केर  आसान व्योंत,

कागज वा गोबर - कर्सी ।।

 

मुदा  एखनुका   कचरामे,

पन्नी आ प्लास्टिक बेस ।

तकरा जरने  वायुक दूषण,

बाढ़ैछ   साँसक  क्लेश ।।

 

कार्बन-डाइ-ऑक्साइड बढ़ैछ,

नञि बेसी चिन्ताक बात ।

गाछ-बिरिछ तकरा बदलामे,

दैछ  ऑक्सीजन  साफ ।।*

 

पर  ओकरो   बेसी  मात्रा,

करइछ  दूषणक समस्या ।

हरियर घऽर प्रभाव एखनुका,

अछि  बड़ पैघ समस्या ।।*

 

मुदा जारने प्लास्टिक-पन्नी,

‘डाइ-ऑक्सिन’   निकलैछ ।*

अति-अतिसूक्ष्म प्रमाण मुदा,

बड़ घातक विष से होइछ ।।

 

साँससँ सीधे  पसरि  खूनमे,

सौंसे     देह     फिरैछ ।

कैन्सरजनक छी, संगे बहुतो,

हार्मोनक   दुःख    दैछ ।।

 

प्लास्टिक - पन्नी जुनि डाहू,

कचरासँ  बीछि   निकालू ।

पुनर्चक्र  लेल  बेचू  अथवा,

माटि  खोधि  कऽ  गाड़ू ।।*

 

भारत स्वच्छ हो नीक मुदा,

की उचित छियै - से बूझू ।

नव कचरा, तकरा निपटानक

उचित   तरीका   सीखू ।।*

 

* - गाछ - बिरिछ सेहो आन जीव जेकाँ साँस लेबाक प्रक्रियामे (श्वसन प्रक्रियामे) ऑक्सीजनहि लैछ आ कार्बन-डाइ-ऑक्साइड छोड़ैछ । मुदा प्रकाश-संश्लेषणक प्रक्रियामे जतबा कार्बन-डाइ-ऑक्साइड लैछ ओतबहि ऑक्सीजन छोड़ैछ । तेँ सामान्य भाषामे कहल जाइछ जे हरियर गाछ-बिरिछ कार्बन-डाइ-ऑक्साइड ग्रहण कए ऑक्सीजन दैत अछि । आ इएह ऑक्सीजन चक्र (Oxygen Cycle) थिक ।

* - वायुमण्डलमे कार्बन-डाइ-ऑक्साइड नामक गैस केर मात्रा बढ़लासँ हरियर घऽर प्रभाओ/प्रभाव (Green House Effect) केर निर्माण होइछ । सामान्यतः सूर्यकिरिन केर माध्यमसँ जे ऊष्मा-ऊर्जा धरतीकेँ भेटैछ ओकर बहुत पैघ भाग विकिरणक माध्यमेँ धरतीसँ बाहर बाहरी/बाह्य अन्तरिक्षमे पुनः आपिस भए जाइत अछि । एहिसँ अपन पृथिवी आवश्यतासँ बेसी गर्म नञि होइछ । कार्बन-डाइ-ऑक्साइडक बढ़ल मात्रा एहि विकिरण प्रक्रियामे बाधक होइत अछि । गर्मी धरतीक वायुमण्डलमे आबि तँऽ जाइत अछि मुदा अपेक्षित गतिसँ बाहर नञि जाए पाबैत अछि । तेँ पृथिवीक औसत तापमान बढ़ए लगैत अछि । इएह हरियर घऽर प्रभाओ कहबैत अछि ।

* - प्लास्टिक-पन्नी आदिकेँ डाहलासँ कार्बन-मोनो-ऑक्साइड आ कार्बन-डाइ-ऑक्साइड केर अतिरिक्त डाइ-ऑक्सिन/डाइ-ऑक्जिन (Dioxins) नामक रसायनिक पदार्थक समूहक उत्सर्जन वायुमण्डलमे होइछ जे पर्यावरण ओ जीवक स्वास्थ्यक लेल बहुत घातक होइत अछि । ई रसायनिक पदार्थ जल्दी अपघटित नञि होइत अछि आ साँस-सम्बन्धी बेमारी, कैन्सर आदि उत्पन्न करैछ । संगहि ई गर्भस्थ-शिशुकेँ सेहो बड्ड नोकशान पहुँचबैछ ।

* - एकर प्रतिकारक सभसँ नीक उपाए अछि जे प्लास्टिक-पन्नी आदिक उपयोग नञि करी मुदा से आजुक समएमे संभव नञि । परञ्च एतबा तँऽ अवश्य कएल जाए सकैत अछि जे ओकरा डाहल वा जराओल नञि जाए । जँ जैविक अपशिष्ट कचरासभकेँ जराएब आवश्यकहि होअए तँऽ ओहिमेसँ प्लास्टिक-पन्नी आदिकेँ बीछि कऽ अलग कए ली । ओकरा या तँऽ बेचि दी जतएसँ ओ पुनर्चक्रण प्लांट धरि पहुँचि जाएत । जँ कोनहु उपाए नञि तँऽ माटि तऽरमे दबा दी, यद्यपि ई पुर्ण-उचित उपाए नञि छी तथापि जरएबासँ कम घातक छी ।

* - स्वच्छताक नाम पर सोझेँ पन्नी-प्लास्टिकबला कचराकेँ डाहि देब दोसराकेँ उछन्नर देब थिक, पुर्णतः अमानवीय थिक । सभ पक्ष विचारि कऽ काज करी ।






पद्य - २४‍४ - श्वसन (बाल कविता)

 श्वसन (बाल कविता)










साँस लेबा - छोड़बाकेर उपक्रम, छी नञि मात्र श्वसन

श्वासोच्छवासक क्रिया कहाबैछ,  जकरा  बुझी  श्वसन ।।

 

शोषण नञि ई श्वसन छियै,  जे होइछ कोशिका - अन्दर ।

ऑक्सीजन  ग्लूकोजक  युतिसँ,  ऊर्जा  दैछ  निरन्तर ।।

 

हरियर गाछ आ आन जीवसभ, साँसमे लैछ ऑक्सीजन ।

श्वसन क्रिया उपयोग करैतछि,  इएह लेल ऑक्सीजन ।।

 

कार्बन-डाइ-ऑक्साइड  बनैतछि,  संगमे  बहुते   ऊर्जा ।

ए॰ टी॰ पी॰  ऊर्जा - भण्डारक,   बेर - बेगरतेँ   खर्चा ।।

 

ओएह ऊर्जा जे  रहैछ जिअओने,  जीवकेँ एहि धरतीपर ।

ए॰ टी॰ पी॰सभ  बान्हि  राखैछ,  ऊर्जाकेँ अपना भीतर ।।

 

ऊर्जाकेर  टाका  अहँ  बुझू,  ए॰ टी॰ पी॰  थिक  नाम ।

ऊर्जा  दैछ   जीव - कायकेँ,  यथासमए   ठाम ।।

 

श्वसन क्रिया छी  दुई प्रकारकेर,  उपप्रकार पुनि कएटा ।

दुई प्रकार  ऑक्सी आ अनॉक्सी,  चरण  दूनूकेर दूटा ।।

 

ग्लाइकोलिसिस  पहिल चरण छी,  दुहुमे करीब समानें ।

दोसर  चरणमे  बेस फरक छी,  तकरे  आधृत  नामें ।।

 

ऑक्सीजन पर्याप्त रहैछ तँऽ,  ऑक्सी श्वसनक प्रक्रम ।

ग्लाइकोलिसिस बाद  घटैतछि,  क्रैब-चक्रकेर  उपक्रम ।।

 

ऑक्सी श्वसन छी  मुख्य प्रक्रिया, ऊर्जा निकसैछ खूब ।

एखना धरतीपर  बेसीतर,  श्वसनक  इएह  छी  रूप ।।

 

ऑक्सीजनकेर  सीमित मात्रा,  अन-ऑक्सी लेल न्योंत ।

आकस्मिक विपरीत समएलेल, किछु कालक छी व्योंत ।।

 

कोशिकीय    श्वसन  प्रक्रिया,   कोशामध्य  घटैछ ।

कार्बन-डाइ-ऑक्साइड बनैछ  जे,  जीव  साँस  छोड़ैछ ।।

 

अवशोषित  आहार  रसक  छी,   ऊर्जामे   परिवर्तन ।

परिवर्तित  ऊर्जासँ  जीवन - शक्तिक  छी  अनुरक्षण ।।

 

नोट -

·        कोशिका / कोशा / कोश = CELL / BIOLOGICAL CELL (In ENGLISH)

·        श्वासोच्छवास (+निःश्वास) = साँस छोड़ब (+साँस लेब) = To EXHALE (+ To INHALE) = To RESPIRE / RESPIRATION

·        किछु अवायवीय जीवाणुकेँ (ANAEROBIC BACTERIA) छोड़ि दुनिञाक सभ जीव (चाहे ओ गाछ-बिरिछ होअए वा जन्तु) श्वसन क्रियामे ऑक्सीजनहिकेर (O2) उपयोग करैत अछि आ ऊर्जाक संग सह उत्पादक (BYPRODUCT) रूपमे कार्बन-डाइ-ऑक्साइड (CO2) दैत अछि ।

 

 


20/03/2018 कऽ ई-मेलक माध्यमसँ मैथिली साहित्य मंच हैदराबाद-सिकन्दराबादसँ प्रकाशित देसिल बयना नामक स्मारिकाकेँ प्रकाशनार्थ प्रेषित । (बादमे प्रकाशित सेहो) ।










पद्य - २४‍३ - प्रकाश संश्लेषण (बाल कविता)

 प्रकाश संशलेषण (बाल कविता)









सम्पादक महोदय आ सम्पादन सहयोग मण्डलीसँ निवेदन -

 

·        विज्ञान विषयक लेखक लेल नित नऽव पारिभाषिक शब्द सभक आवश्यकता पड़ैछ । एहि प्रकारक पारिभाषिक शब्द सभ कोनहु भाषा मे ओकर मातृक मूल भाषासँ बनाओल जाइछ, यथा अंग्रेजी मे लैटिनसँ  मैथिलीमे संस्कृतसँ 

·        तेँ निवेदन अछि जे हमरा द्वारा प्रकाशनार्थ प्रेषित गीत  कविता  लेखसभमे प्रयुक्त शब्दसभकेँ यथावत रहए देल जाओ । अर्थात् पारिभाषिक तत्सम शब्दसभकेँ तत्समे रह्ए देल जाओ, ओकर तद्भवीकरण नञि कएल जाओ । यथा - प्रकाशकेँ प्रकास वा संश्लेषणकेँ संस्लेसन नञि कएल जाओ ।

·        सादर धन्यवाद ।

 

 

कोनहु एक वा अधिक वस्तुसँ,  नऽव वस्तु जँ आन बनैछ ।

नऽव वस्तु बनबाक क्रियाकेर, संश्लेषण छी नाम पड़ैछ ।।

 

पानि ओ कार्बन-डाइ-ऑक्साइडक,  मेलसँ  सूर्य - प्रकाशमे ।

ग्लूकोजक  संश्लेषण  होइतछि,  गाछक  हरियर  भागमे ।।

 

दू प्रकारकेर  पृथक अणुसँ,  तेसर  अणु  विशिष्ट  बनैछ ।

एहि प्रकार बनबाक क्रियाकेँ,  संश्लेषण  विज्ञान  कहैछ ।।

 

एहि संश्लेषणकेर चरण किछु,  बिनु  प्रकाशकेर छी सपना ।

तेँ  प्रकाश संश्लेषण  कहबैछ,  जीवशास्त्रमे    घटना ।।

 

एहि घटना लए हरित लवक नामक उपांग अतिआवश्यक ।

हरित लवकमे पर्णहरित, नामक  वर्णककेर  सभ नाटक ।।

 

इएह विशिष्ट उपांग आ वर्णक,  स्वपोषीक साम्राज्य गढ़ैछ ।

स्वपोषी ओ जे  निज भोजन,  संश्लेषित कऽ कऽ बनबैछ ।।

 

विश्वक  बेसीतर   स्वपोषी,   एहिना  संश्लेषण  करइछ ।

शेष आन,  किछु आन तरहसँ,  भोजन संश्लेषित करइछ ।।

 

शेष  जीव  जे  परपोषी  छी,  स्वपोषीपर  निर्भर  अछि ।

भोज्य  पिरामीडक  आधारमे,  स्वपोषीकेर  स्तर  अछि ।।

 

चाहे एकसरि वा हो समेकित,  पर्णहरितयुत जिबैत कोश ।

संश्लेषण करबामे सक्षम,  एहि तरहक छी हर एक कोश ।।

 

कहबैतछि सायनो-बैक्टिरिया, नील-हरित-सेमार  अपन ।

शुरू कएल  सबसँ पहिने,  प्रकाश  आधारित  संश्लेषण ।।

 

उत्सर्जित कएलक ऑक्सीजन, प्राणवायु आजुक जीवक ।

धरती केर वायुमण्डलमे, मुक्त ने छल से ऑक्सीजन ।।

 

गाछ-बिरिछसभ श्वसनक्रियामे, ऑक्सीजन जतबा लैतछि ।

तकर द्विगुण ऑक्सीजन प्रायः,  संश्लेषणमे ओ दैतछि ।।

 

वायुमण्डलकेर ऑक्सीजन,  गाछ-बिरिछपर निर्भर अछि ।

धरतीकेर हरियरी बुझू ,  बाँकी जीवनकेर  रक्षक अछि ।।

 

नोट -

·        हरित लवक = CHLOROPLAST

·        पर्णहरित / पर्णहरिम = CHLOROPHYLL

·        वर्णक = PIGMENT

·        उपांग = कोशिका उपांग = CELL ORGANELLE

·        प्रकाश संश्लेषण = साँस छोड़ब (+साँस लेब) = To EXHALE (+ To INHALE) = To RESPIRE / RESPIRATION

·        स्वपोषी = भोजन संश्लेषित कएनिहार जीव = AUTOTROPHS

·        प्रकाश संश्लेषी स्वपोषी = PHOTO AUTOTROPHS

·        परपोषी = भोजन संश्लेषित कएनिहार जीव = स्वपोषी जीव द्वारा संश्लेषित भोज्य पदार्थकेर उपभोग कएनिहार जीव = HETEROTROPHS

·        भोज्य पिरामीड = भोजन पिरामीड = FOOD PYRAMID

·        नील-हरित-सेमार (मैथिली) = नील-हरित-शैवाल (हिन्दी) = BLUE-GREEN-ALGAE (In ENGLISH) = CYANOBACTERIA (In BIOLOGY)

 

20/03/2018 कऽ ई-मेलक माध्यमसँ मैथिली साहित्य मंच हैदराबाद-सिकन्दराबादसँ प्रकाशित देसिल बयना नामक स्मारिकाकेँ प्रकाशनार्थ प्रेषित । (बादमे प्रकाशित सेहो) ।