।। तिरहुता, देवनागरी आ मैथिली ।।
हम एखनुका विवाद (मौखिक भाषा विवाद) सँ बहुत पहिनहि निम्न गीतक संग पाद-टीकामे एहि तरहक बात लिखने रही कि मैथिलीभाषा (लिपि समेत) राष्ट्रवादक बलिबेदी पर कोना चढ़ाओल गेलीह ।
http://mithilavidehavajjitirhut.blogspot.in/2012/05/blog-post_4256.html?m=0
ई सभ "विदेह" नामक पाक्षिक मैथिली ई - पत्रिकामे 15 अप्रील 2012 ई. कऽ छपल छल । तहिया किछु लोक हमरा दरभंगा राजसँ संबद्ध व्यक्तिक वंशज बुझि मिथ्या ओ अनर्गल आरोप - प्रत्यारोप लगओने रहथि; जखनि कि दूर - दूर धरि हमर एहेन कोनहु संबंध नञि छल वा अछि ।
हमर उपरोक्त वक्तव्यक स्वरकेँ दृढ़ करैछ निचलुका उद्धरण (साभार सौजन्य - श्री भवनाथ झाजीक फेसबुक पोस्ट) -
ओना जयकान्त बाबू सेहो सहीए कहने छलाह । तिरहुता छपाई दिसिसँ दरभंगा राजक हाथ झिकलाक बाद मैथिली प्रकाशनक काज ठमकि गेल ।
मैथिलीक प्रकाशनकेँ अकाल मृत्युसँ बचएबाक लेल देवनागरी मुद्रणक सहारा लेल गेल - सर्वप्रथम काशीसँ शुरूआत भेल ।
देवनागरीमे लिखलासँ एकटा नऽव समस्या उत्पन्न भेल । घर, जल आदि शब्द मैथिली आ हिन्दीमे एक्के रंग लिखाइत छल मुदा उच्चार अलग - अलग छल । मैथिलीक उच्चारकेँ हिन्दीक उच्चारसँ अलग करबाक लेल संस्कृतसँ अवग्रहक चिन्ह (ऽ) केँ आनल गेल ।
अवग्रहक संग २ टा समस्या छल - पहिने तऽ ओ टाइपसेट मे बेसी जगह लैत छल आ दोसर हिन्दीमे नञि प्रयोग होएबाक कारणें ओकर सप्लाई सीमित आ महग छल ।
एहनामे ओकर विकल्पक रूपमे अंग्रेजीक एपॉस्ट्रॉफी (APOSTROPHE) चिन्ह (') केर प्रयोग बहुतायतसँ होमए लागल ।
एतबहि नञि शुरुआती समयएमे देवनागरी टाइपसेटमे किछु आन आखरक टाइपसेटक सीमित ओ महग सप्लाई केर कारणें प्रतिनिधि आखरक प्रयोग बढ़ि गेल, जेना कि -
"ए" केर एवजमे "य" ...... यथा "जाएब" केर स्थान पर "जायब"
"ञि" केर एवज मे " हिं" वा " हि" ...... यथा "नञि" केर स्थान पर "नहिं" वा "नहि"
"ञ" केर एवज मे "यँ" ...... यथा "कनिञे" केर स्थान पर "कनियें"
"ञा" केर एवज मे "याँ" ...... यथा "पुरैनिञा" केर स्थान पर "पुरैनियाँ" .....................आदि ।
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