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मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Sunday, 28 December 2014

पद्य - ‍९८ - गीत - गजल (कविता)

गीत - गजल




अहँ कहैत छी,  गजल कहू,  हे यौ  गीत  किए  सुनबै छी ।
हम कहैत छी,  गीत लिखब,  हम गीते   गजल  बुझै छी ।।

अहँ कहैत छी,  हमर  गीतमे,  गजलक  कए - ठाँ  आभा ।
हम कहैत छी,  गजल  छी  गीते,  गीत  काव्यकेर  झाबा ।।

अहँ कहैत छी, गजल गजल छी,  गजलक नञि छी पड़तर ।
हम कहैत छी,  सब अनूप छी,  एकक  सम  कहँ  दोसर ।।

अहँ कहैत छी,  गजल  अलग  छी,  गजल विशिष्ट मनोहर ।
हम कहैत छी, गजल  गीत  केर,  विशिष्ट रूप एक सुन्नर ।।

अहँ कहैत छी,  गजल - व्याकरण,  गीतक  की  परिभाषा ?
हम  कहैत  छी,  गेय  गीत  छी,  जगजीतक  वा  आशा ।।



28 DEC. 2014  कऽ प्रकाशनार्थ पुर्वोत्तर मैथिल (समाज) केर सम्पादकीय कार्यालयकेँ प्रेषित ।

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