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मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Saturday 1 October 2011

पद्य - ‍१२ - धिया – पुता जनकक वंशज हम

धिया – पुता जनकक वंशज हम 
(बालगीत)


लितहि रहब अछि काज हमर, लगातार अविराम ।
              जा धरि भेटय ने लक्ष्य जीवनक, चाही ने विश्राम ।।

प्रगतिक पथ पर बढ़ैत रहब हम, हरैत विघ्न - बाधा सभ केँ ।
चलितहि रहब जीवनक पथ पर, नाँघैत सरिता गिरि गह्वर केँ ।
सहैत चलब हम सुख – दुःख सभटा, कनिञो  नञि घबड़ायब ।
माए  मैथिलीक  आँचर  पर  नहि, कोनहु  कलंक  लगायब ।

कनक रेख सञो लिखब भारतक विश्व पटल पर नाँव ।
              जा धरि भेटय ने लक्ष्य जीवनक, चाही ने विश्राम ।।

चलैत  रहब  हम अडिग सुपथ पर, नव - नव लय जिज्ञासा ।
प्रेम – स्वतंत्रता - ज्ञानक   भूखल,  रत्नक  नञि  अभिलाषा ।
धिया – पुता जनकक वंशज हम, स्वर्णिम भविष्य केर  आशा ।
अथक  परिश्रम  काज हमर,  बिनु  स्वार्थक  कोनहु  पिपासा।

विश्व पटल पर फेर बनायब मिथिला केर नव पहिचान ।
             जा धरि भेटय ने लक्ष्य जीवनक, चाही ने विश्राम ।।




विदेहपाक्षिक मैथिली इ पत्रिका, वर्ष , मास ४६, अंक ९१, ‍दिनांक - ०१ अक्टूबर २०११ मे प्रकाशित ।

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