छठि
गीत - २
दीन - हीन पापी
मुरूख हम, कएलहुँ बड़ अपराध ।
क्षमा करू तइयो हे
सुरूजदेव दिनकर दिनानाथ !!
ठाढ़ पानिमे विनय
करै छी ।
निज अपराधक क्षमा
मँगै छी ।
अरघ नेने छी
ठाढ़, करू स्वीकार हे दीनानाथ ।
क्षमा करू गलती
हे सुरूजदेव दिनकर दीनानाथ !!
अपना लेल सौभाग्य
मँगै छी ।
अपना खोंइछक लाज
मँगै छी ।
हम अज्ञानी,
देव अहाँ छी, होइयौ ने सनाथ ।
क्षमा करू गलती
हे सुरूजदेव दिनकर दीनानाथ !!
सिंउथ सिनूरे लाल
मँगै छी ।
कोरा सुन्नर लाल मँगै छी ।
सिया-धिया अँगना
खेलए आ खेलए बाल-गोपाल ।
क्षमा करू गलती
हे सुरूजदेव दिनकर दीनानाथ !!
neek geet
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ।
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