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Saturday 26 March 2016

पद्य - ‍१७‍१ - माटिक चाली या बरसाती चाली (बाल कविता)

माटिक चाली या बरसाती चाली 
(बाल कविता)




बरखामे सह-सह करैत अछि,  जे  बरसाती  चाली ।
भीजल माटि फोड़ि कऽ निकसए, से बरसाती चाली ।।

नमरैछ,  फेर आगाँ बढ़ैत अछि,   ई बरसाती चाली ।
माटिक भीतर  छुपल रहैतछि,  ई  बरसाती  चाली ।।

डरू ने बौआ - बुच्ची एहिसँ,  काटए नञि ई चाली ।
बोर  बनैछ  बंशीमे  माछक,  से  बरसाती  चाली ।।*

माटिमे  जे जीवांश  रहैछ,  तकरे खा जीबए चाली ।
माटिक  उपजाशक्ति  बढ़ाबए,  इएह बरसाती चाली ।।*

विश्वमे भेटए  भाँति-भाँति  केर,  ई बरसाती चाली ।
ककरो माटि प्रिय या गोबर,  या सऽड़ऽल तरकारी ।।*

जैविक कचड़ा  अछि  जेहने,  तेहने तँऽ चाही चाली ।
हर तरहक  जैविक कचड़ाकेँ,  खाद  बनाबए  चाली ।।*




संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - बंशीसँ (FISHING HOOK) माछ मारए काल बहुत लोक चालीकेँ मारि कऽ ओकर टुकड़ीकेँ बोर (FISHING BAIT) केर रूपमे प्रयोग करैत छथि ।

* - माटिमे जे जीवांश (DEAD ORGANIC MATTER) रहैत अछि तकरे खाऽ कऽ माटिक चाली जिबैत अछि । ई पेटक चाली जेकाँ परजीवी (PARASITE) नञि भऽ कऽ स्वतन्त्रजीवी (FREE LIVING) अछि । एहि जीवांशसभकेँ पचाऽ कऽ ओ जैविक खादमे (BIO FERTILIZER) बदलि दैत अछि ।


* - विश्वमे माटिक चालीक हजारहु जाति - प्रजाति छैक आ प्रायः हर जातिकेँ एक विशिष्ट प्रकारक जीवांशक प्रति रूचि रहैत छै − ककरहु माटिमे उपस्थित गाछक मृत भागक प्रति, ककरहु गोबरक प्रति, ककरहु घऽरमे उत्पन्न तरकारी आदिक जैविक कचड़ाक प्रति ……………… आदि, आदि ।


* - जैविक खाद बनएबाक उपक्रमक लेल जाहि तरहक जैविक कचड़ा उपलब्ध रहैछ ताहि तरहक ताहि तरहक रूचि रखनिहार चालीक चयन कएल जाइत अछि ।


मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍197म अंक (‍01 मार्च 2016) (वर्ष 9, मास 99, अंक ‍197) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।



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