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मिथिलाक पर्यायी नाँवसभ

मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Wednesday 20 January 2016

पद्य - ‍१३८ - उल्लू (बाल कविता)



उल्लू (बाल कविता)






रातिमे कचबच  कचबच करइछ,
नाम  ओकर   कचबचिया  छै ।१,२
 नञि  दूर  देश  केर  प्राणी,
अपनहुँ  ठाँ  बारहमसिया  छै ।।

आँखि ओकर  दुहु  गोल - गोल,
गोलका भाँटा केर  तरुआ सनि ।
नाक सपाट   लोल सुकुच्ची,
आँखिक  सोझाँ  मड़ुआ सनि ।।

दुनिञा   अचरजसँ   देखै   छै,
   दुनिञाकेँ    अचरजसँ ।
राति  इजोरिया  खौंझाएल मन,
निन्न  जँ  टूटल  कचबचसँ ।।

आँखि एकर किछु खास बनल छै,
रातिमे सभ किछु  देखबा लए ।
दिनुका  इजोत  चोन्हराए आँखि,
छै बनल ने दिनमे देखबा लए ।।

गर्दनि  छै  सेहो  किछु  विशेष,
 घूमि जाइत छै चारू कात ।
इएह सब देखि कऽ  लोक कहैए,
एक्कर   भूत - परेतक  साथ ।।

राति इजोरिया  साँझक झलफल,
मूँह  लागए  जेना  हो लुच्चा ।
मूँहक  भाव - भंगिमा   गजबे,
कहबै   तेँ      मूँहदुस्सा ।।

अपना सभक  समाजमे  मूर्खक,
उल्लू  बनि  गेल   छै  पर्याय ।
दिन सूतए छै,  राति जागए छै,
तेँ  एहेन   कहबी  छै  भाय ।।





संकेत आ किछु रोचक तथ्य -
 
१ - मूँहदुस्सा, कचबचिया आदि मैथिलीमे उल्लू (OWL) केर पर्यायी नाम अछि ।

२ - “कचबचिया” नाम मैथिलीमे उल्लूक अतिरिक्त एकटा आन चिड़ै लेल सेहो प्रयुक्त होइत अछि । एहेन शब्द जकर अलग−अलग स्थान पर अलग−अलग अर्थ हो वा अलग−अलग चीजक बोध करबैत हो मैथिलीमे अनेकार्थक शब्द कहबैत अछि । दू अलग−अलग तरहक चिड़ै केर बोध करएबाक कारण कचबचिया” शब्द अनेकार्थक भेल ।

३ - उल्लूक आँखि बहुत कम प्रकाशमे देखबाक हेतु समायोजित रहैत अछि । तेँ ओकर बनावट किछु विशिष्ट होइत अछि । उल्लूक आँखि कम प्रकाशमे दूरक वस्तुकेँ देखबा लेल बनल अछि आ ताहि कारणेँ ओ अपना लऽगक (आँखिसँ किछु सेन्टीमीटरक परिधिमे) वस्तुसभकेँ एकदम्मे नञि देखि सकैत अछि ।

४ - उल्लूक गर्दनि मे ‍१४ टा ग्रीव कशेरुक हड्डी (CERVICAL VERTIBRAE) होइत अछि जखनि कि मनुक्खमे मात्र ७ टा । मनुक्खक गर्दनि मात्र करीब ‍१७० सँ ‍१८० डिग्री धरि घुमि सकैत अछि जखनि कि उल्लूक करीब ‍३४० सँ ‍३५०  डिग्री धरि । तेँ उल्लू एक ठाम बैसल - बैसल अपना शरीरकेँ बिना हिलएने - डोलओने, बस अपन गर्दनि घुमा कऽ अपन आगाँ आ पाछाँ सेहो देखि सकैत अछि । रातिमे विचरण करबाक कारण रात्रिचर अछिए । इएह अद्भुत गुणसभक कारण मनुक्ख ओकरा भूत-परेतक पर्याय मानैत अछि ।



मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍193म अंक (‍01 जनबरी 2016) (वर्ष 9, मास 97, अंक ‍193) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।



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