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मिथिलाभाषाक (मैथिलीक) बोलीसभ

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Monday 25 January 2016

पद्य - ‍१४८ - मोहखा या मोखा (बाल कविता)

मोहखा या मोखा (बाल कविता)





खेतमे  आ  बाड़ी - झाड़ीमे ।
पड़ती - गाछी - बँसबिट्टीमे ।
कूदए - फानए एक चिड़ै ।।

बेशी ओकरा उड़ल ने होइछ ।
कूदए - फानए - कने उड़ैछ ।
लाल आँखिबाला  ओ  चिड़ै ।।

देह आ नाङ्गरि कारी - कारी ।
कौआ सनि  केर  बूझू  कारी ।
लाल पाँखिबाला  ई  चिड़ै ।।

कीड़ा - मकोड़ा डोका गिरगिट ।
बेङ्ग साँप भूआ आ की - की !
खा कऽ  पेट भरैछ ओ चिड़ै ।।

एतबहिसँ  ने  पेट  भरैत  छै ।
अण्डा - चुज्जा फऽड़ ठुसैत छै ।
ताड़ - खजूरक   शत्रु   चिड़ै ।।

सौंसे भारतमे  भेटैत  अछि ।
पर्वत पठार मैदान फिरैतछि ।
मोहखा या मोखा जे चिड़ै ।।


संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

कुक्कू (CUCKOO) गण आ परिवार (Order - Cuculiformes & Family - Cuculidae) केर सदस्य होइतहुँ मोहखा एहि परिवारक आन सदस्यसभ सनि शिशुभरण-परजीवी (BROOD PARASITE) नञि अछि । ओ अपन खोंता बनबैत अछि, अपन अण्डाकेँ अपने सेअइत अछि आ बच्चाक देखभाल सेहो अपनहि करैत अछि । एहि परिवारक आन बहुत रास सदस्य जेना कि कोइली, पपीहा, चातक आदि शिशुभरण-परजीवी (BROOD PARASITE) होइत अछि ।

मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍194म अंक (‍15 जनबरी 2016) (वर्ष 9, मास 97, अंक ‍194) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।


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