Pages

Monday 25 January 2016

पद्य - ‍१४७ - सिरौली या नकली नीलकण्ठ (बाल कविता)

सिरौली या नकली नीलकण्ठ

(बाल कविता)




हे नकली नीलकण्ठ !  तोहर छह  गजब पिहानी ।
असली  भेल   अलोपित,  तोँही   राजा - रानी ।।*

नील-हरित तोर पाँखि,  तोँहूँ बैसए छऽ ताड़ पर ।*
गर्दनि  छह ने नील  तोहर,  मटियाही - पीयर ।।*

नकली अशोक जे, दुनिञा  तकरा असली बूझए ।
सीता-अशोक जे छी असली, से केओ ने चीन्हए ।।*

तहिना तोहर साम्राज्य बहुत,  पसरल छह सौंसे ।
असली  दुर्लभ,  नकली  सर्वसुलभ,  सब लोके ।।

नाम सिरौली तोहर छियऽह,  बूझल से हमरा ।
अलग सिरोली मएना से जानए भरि मिथिला ।।*



संकेत आ किछु रोचक तथ्य -

* - असली नीलकण्ठ नञि देखाइ देबाक कारण लोक एकरे नीलकण्ठ मानि बैसल अछि । भ्रमक आओरो बहुत रास कारण अछि ।

* - एकर पाँखि नील रंगक होइत अछि जे उड़बा काल चमकैत हरिताभ-नील रंगक बुझि पड़ैछ । मिथिलामे पहिने असली नीलकण्ठ सेहो बिजलीक ताड़ पर बैसल भेटैत छल तहिना ईहो चिड़ै भेटैत अछि ।

* - एकर गर्दनि नील नञि भऽ कऽ पीयर सनि होइत अछि । एहि चिड़ैकेर बिदेशी किछु प्रजातिसभमे (SUB-SPECIES) पीयर गर्दनि पर नील आभा रहैत अछि पर ओ सभ उत्तर भारतमे नञि पाओल जाइछ आ नहिञे कहियो पहिने पाओल जाइत छल । तेँ ओ नीलकण्ठ नञि भऽ सकैछ । तेलुगू भाषामे एकर नाम पलपित्त अछि जखनि कि कन्नर भाषामे नीलकण्ठी कहबैछ । सम्भवतः कन्नर भाषाक नीलकण्ठीसँ ई भ्रम उपजल कि इएह संस्कृतक नीलकण्ठ अछि । पर जे हो, मैथिलीक नीलकण्ठ ई नञि अछि ।

* - आइ - काल्हि जाहि शोभा वृक्षकेँ अशोक नामसँ जानल जाइत अछि से वस्तुतः नकली अशोक छी । रावणक अशोक वाटिकाक अशोक जकर कि चिकित्सकीय प्रयोग आयुर्वेदमे बताओल गेल अछि, से अलग अछि । ओकरा आइ - काल्हि सीता अशोक कहल जाइत अछि आ इएह असली अशोक अछि जकर प्रयोग अशोकारिष्ट आदि बनएबामे होइत अछि ।

*- मिथिलामे एकरा सिरौली नामसँ जानल जाइत अछि (सिरोली नञि) । सिरोली एकटा अलग चिड़ै अछि, ओ एक तरहक मएना अछि ।





मैथिली पाक्षिक इण्टरनेट पत्रिका विदेह केर ‍194म अंक (‍15 जनबरी 2016) (वर्ष 9, मास 97, अंक ‍194) केर बालानां कृते स्तम्भमे प्रकाशित ।




4 comments: